आपने ट्रेनों में सफर करने के दौरान छतों में लगे वेंटिलेटर जरूर देखे होंगे। कभी सोचा है कि यह कितना महत्वपूर्ण है। सवाल यह भी उठता है कि खिड़कियां होने के बावजूद इसकी आवश्यकता क्यों रहती है।
ऐसे में यह पता होना चाहिए कि जो काम छतों में लगे यह ढक्कन कर सकते हैं, वह खिड़कियां कभी नहीं कर सकतीं। इस वेंटिलेटर का काम है कोच के अंदर तापमान और नमी को नियंत्रित करना। जबकि, यह खिड़कियों के माध्यम से पूरी तरह से संभव नहीं है। खासकर ट्रेनों में जब भीड़ काफी बढ़ जाती है। भारत जैसे देश के लिए यह इसलिए भी महत्पूर्ण है, क्योंकि यहां रोजाना करीब ढाई करोड़ लोग ट्रेनों से सफर कर सकते हैं।
ट्रेन की छतों में लगी चीज क्या है ?
ट्रेन की बोगियों के ऊपर आपने भी ढक्कननुमा चीज लगा देखा होगा। कभी इसपर गौर किया है कि यदि यह वेंटिलेशन के लिए है तो यह कैसे काम करता है। या फिर गैर-वातानुकूलित बोगियों में खिड़कियों के बावजूद इसकी आवश्यकता क्यों होती है। यूं समझ लीजिए की भारत जैसे देश में जहां रोजाना करीब 2.4 करोड़ लोग या फिर ऑस्ट्रेलिया की कुल जनसंख्या के लगभग पैसेंजर ट्रेनों से रोज सफर करते हैं, उनके लिए यह जीवनदायिनी उपकरण की तरह है। इतना तो अधिकतर लोग समझते ही हैं कि यह कोच में उचित वेंटिलेशन के लिए लगाए जाते हैं, लेकिन इसकी आवश्यकता इतनी ज्यादा क्यों है, यह जानना बहुत जरूरी है।
घुटन और नमी रोकने में उपयोगी
ट्रेन कोच के ऊपर लगे वेंटिलेटर उसके अंदर की नमी और घुटन को कम करने का काम करते हैं। यह नमी और घुटन भीड़ की वजह से पैदा होने लगती है। उन्हें ही नियंत्रित रखने के लिए रेलवे कोच की छतों में इस तरह के वेंटिलेटर लगाता है। यदि यह ना हो तो भीड़ होने की स्थिति में ट्रेनों में घुटन और नमी के चलते सफर करना मुश्किल हो जाएगा। वातानुकूलित कोच में तो यह प्रक्रिया एयर कंडीशन सिस्टम के जरिए पूरी की जा सकती है। लेकिन, सामान्य या साधारण डिब्बों में यह रूफ टॉप वेंटिलेट के बिना मुमकिन नहीं है।
खिड़कियों के बावजूद ट्रेनों में वेंटिलेटर की जरूरत क्यों है ?
आप सोच रहे हैं कि नमी तो खिड़कियों के माध्यम से भी निकल सकती है। लेकिन, नमी गर्म हवा की वजह से पैदा होती है जो विज्ञान के हिसाब से हवा में ऊपर की ओर उठती है, क्योंकि ठंडी हवा गर्म हवा से हल्की होती है। इसलिए नमी का बाहर निकलना छत वाले वेंटिलेटर के माध्यम से ज्यादा कारगर तरीके से होता है, ना कि खिड़की के जरिए।
ट्रेनों में वेंटिलेटर काम कैसे करते हैं ?
जब बोगी यात्रियों से खचाखच भरने लगती है तो वहां हवा तेजी से गर्म होने लगती है और घुटन महसूस होने लगती है। ऐसे समय में वेंटिलेटर कोच के अंदर की गर्म हवा को बाहर निकालने में सहायक बन जाता है। इस तरह से ट्रेनों की छतों पर लगाया गए छोटे से छेद के माध्यम से गर्म हवाओं को निकालकर यह अंदर की तापमान को नियंत्रित करने का काम करता है। भारत ही नहीं, बांग्लादेश और पड़ोसी मुल्कों में भी ट्रेनों में भीड़ होना बहुत ही स्वाभाविक है। ऐसे में यह वेंटिलेटर सफर के दौरान यात्रियों के लिए वरदान साबित होते हैं।
रोजाना करीब 23,000 ट्रेनों का संचालन करता है भारतीय रेलवे
भारतीय रेलवे दुनिया के सबसे विशाल ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क में से एक है। देश का सबसे बड़ा ट्रांसपोर्टर हर दिन करीब 23,000 ट्रेनों का संचालन करता है, जिनमें से आधे से अधिक यानि करीब 13,500 पैसेंजर ट्रेनें होती हैं। इन ट्रेनों के माध्यम से हर दिन लगभग 2.4 करोड़ यात्री सफर करते हैं। भारत में लगभग 8,000 रेलवे स्टेशनों का जाल बिछा हुआ है।