सभी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य-MSP की कानूनी गारंटी के लिए राज्य और केंद्र सरकार पर दबाव के लिए आंदोलन तेज होने वाला है। पिछले साल किसान आंदोलन के लिए एकजुट संगठनों ने अब एमएसपी गारंटी मोर्चा बना लिया है। इसके तहत हर राज्य में आंदोलन होने हैं। रायपुर में इसके तहत 14 दिसम्बर को पहली संगोष्ठी होनी है। इसमें किसान आंदोलन के बड़े नेता भी शामिल हो रहे हैं।
छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के संयोजक मंडल सदस्य तेजराम विद्रोही ने बताया, संगठनों ने आपसी चर्चा के बाद अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के पूर्व संयोजक वी. एम. सिंह की अध्यक्षता में एमएसपी गारण्टी मोर्चा का गठन हुआ है। इसके तहत देश भर में किसान संगठनों और किसानों के बीच संगोष्ठी व सम्मेलनों के माध्यम से सभी फसलों और सभी किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारण्टी मिल सके इस विषय पर व्यापक अभियान चलाया जा रहा है।
छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ भी संयुक्त किसान मोर्चा दिल्ली से जुड़ा हुआ है। ऐसे में हमने 14 दिसम्बर को रायपुर में एक संगोष्ठी का आयोजन किया है। यह संगोष्ठी टिकरापारा स्थित साहू समाज भवन में होनी है। इसमें मुख्य वक्ता एमएसपी गारंटी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरदार वी. एम. सिंह होंगे। महाराष्ट्र के संयोजक राजू शेट्टी और राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. राजाराम त्रिपाठी सहित बड़ी संख्या में किसान, मजदूर और नागरिक संगठनों के प्रतिनिधि इसमें भाग लेने वाले हैं।
संयुक्त किसान मोर्चा की सामान्य सभा में उठी है मांग
पिछले सप्ताह हरियाणा के करनाल में संयुक्त किसान मोर्चा के सामान्य सभा की बैठक हुई थी। इसमें छत्तीसगढ़ के प्रतिनिधि भी शामिल हुए थे। उस बैठक के दौरान भी MSP की गारंटी के लिए आंदोलन की बात उठी। कहा गया,दूसरे चरण के आंदोलन से पहले पूरे देश में किसानों को एकजुट करना चाहिए। बताया जा रहा है, संयुक्त किसान मोर्चा ने इसके लिए देश व्यापी कार्यक्रम तय किया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने 26 नवम्बर को कई प्रदेशों में प्रदर्शन कर केंद्र सरकार ने MSP की कानूनी गारंटी की मांग की थी।
MSP की गारंटी पर इतना जोर क्यों दे रहे हैं किसान
छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ के तेजराम विद्रोही का कहना है, कोई भी कंपनी जब अपना मॉल तैयार करती है तो वह बाजार में बेचने के लिए उसका एक अधिकतम खुदरा मूल्य निर्धारित करती है। उसमें उपभोक्ताओं पर लगने वाला टैक्स भी शामिल रहता है। उसी मूल्य पर वस्तु को बेचकर कंपनी अपना मुनाफा कमाती है। लेकिन किसानों को अपनी फसल का मूल्य तय करने का अधिकार नहीं है। केंद्र सरकार जिन फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करती है, वह मूल्य भी किसानों को नहीं मिलता। इसलिए किसान घाटा उठाता है, कर्ज में डूबता है। ऐसे में सभी फसलों और सभी किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी मिलना ही खेती-किसानी बचने की गारंटी है।