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जिस केके मोहम्मद ने बताया था बाबरी के नीचे मंदिर, अब उसने BJP पर लगाया ये बड़ा आरोप

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अयोध्या में बाबरी मस्जिद के नीचे राम मंदिर के अवशेष सबसे पहले देखने का दावा करने वाले पुरातत्वविद के के मोहम्मद ने एक किताब में आरोप लगाया है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) 2014 के बाद पूरी तरह पंगु संस्थान बन गया है.

बहरहाल, पूर्व केंद्रीय संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने इस आरोप का जोरदार खंडन किया है. शर्मा ने पुरातत्वविद के खिलाफ कार्रवाई की भी चेतावनी दी है.

मोहम्मद 1976-77 में अयोध्या में प्रोफेसर बी बी लाल की अगुवाई वाले पहले खुदाई दल का हिस्सा थे. उन्होंने 1990 में एक अखबार में छपे लेख में पहली बार माना था कि उन्होंने मस्जिद के नीचे राम मंदिर के अवशेष देखे थे. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लगातार दूसरी बार केंद्र में सत्ता में लौटने के बाद उन्हें 2019 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया. हाल में प्रकाशित उनकी आत्मकथा एन इंडियन आई एम में उन्होंने लिखा है कि भाजपा सरकार के पहले सात वर्षों के दौरान एएसआई पंगु संस्थान बनकर रह गया है.

शर्मा नौ नवंबर 2014 से 30 मई 2019 तक केंद्रीय संस्कृति मंत्री रहे

इस आरोप के बारे में पूछे जाने पर शर्मा ने कहा, मैंने किताब पढ़ी है. मैं इसकी समीक्षा कर रहा हूं. मैं आवश्यक कार्रवाई करूंगा. शर्मा नौ नवंबर 2014 से 30 मई 2019 तक केंद्रीय संस्कृति मंत्री रहे थे. पुरातत्वविद ने यह भी आरोप लगाया कि जब 2014 में भाजपा सत्ता में आयी तो उसने अधीक्षक पुरातत्वविदों की वित्तीय निधि 25 लाख रुपये से घटाकर तीन लाख रुपये कर दी जिसके कारण वे स्मारकों और मंदिरों में कोई संरक्षण कार्य नहीं कर सकते तथा हर छोटी चीज के लिए उन्हें दिल्ली में कार्यालय प्रमुख का मुंह ताकना पड़ा.

मामला पकड़ सकता है तूल

इस मुद्दे पर एएसआई के महानिदेशक वी विद्यावति को द्वारा भेजे गए ई-मेल पर अभी कोई जवाब नहीं मिला है. जब एएसआई के जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) वसंत कुमार स्वर्णकर से संपर्क किया गया तो उन्होंने मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. वित्तीय निधि कम करने के फैसले से जुड़े सरकारी विशेषज्ञों ने कहा कि यह इंजीनियरों और पुरातत्वविदों के बीच जवाबदेही लाने के लिए साफ नीयत से किया गया था तथा बाद में जब अहसास हुआ कि यह काम नहीं आया तो फैसले को पलट दिया गया.

एएसआई पर लगाए आरोप

वरिष्ठ पुरातत्वविदों के एक वर्ग ने भी एएसआई में निरंकुश और अति-केंद्रीकृत प्रशासनिक व्यवस्था का आरोप लगाया है. एएसआई के स्मारक और विश्व धरोहर के पूर्व निदेशक एन ताहिर ने कहा, 1980 के दशक से 2020 तक तीन दशक से भी अधिक समय तक विभाग में काम करने के बाद हमने लोगों की नजर में एएसआई को एक प्रमुख संस्थान से माध्यमिक या सहायक संस्थान में बदलते देखा है.

अपनी किताब में केके मोहम्मद ने एएआई को एक लाभकारी निकाय बनाने के लिए कई कदमों का सुझाव दिया है और अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री रहने से लेकर बाद में कई संस्कृति मंत्रियों के कार्यकाल की तुलना की है. उन्होंने संस्कृति मंत्री के तौर पर जगमोहन के कार्यकाल को एएसआई का स्वर्ण काल बताया. उन्होंने कहा, जब जन भावनाओं की लहर की मदद से नरेन्द्र मोदी सत्ता में आए तो आम जनता को दोबारा वही देखने की उम्मीद थी जो उन्होंने जगमोहन के कार्यकाल में देखा. देशभर के संस्कृति प्रेमी संस्कृति के क्षेत्र में बदलाव देखने की उम्मीद कर रहे थे लेकिन यह भ्रम साबित हुआ.