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अब बस्तर में मोर्चा संभालेंगे एलीट कमांडो फोर्स ‘कोरस’, अत्याधुनिक हथियारों व विशेष वर्दी से होंगे लैस

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Elite commando force ‘Corus’: अब नक्सलियों से दो-दो हाथ करने आरपीएफ(रेलवे सुरक्षा बल) और आरपीएसएफ(रेलवे सुरक्षा विशेष बल) की एलीट कमांडो फोर्स कोरस दक्षिण बस्तर में मैदान में उतरी है। बारूदी सुरंगों और विस्फोटकों से निपटने, स्निपिंग, ब्रीचिंग में महारत हासिल बल के कमांडो बुलेट-प्रूफ जैकेट, हेलमेट और अत्याधुनिक हथियारों व विशेष वर्दी से लैस हैं।

अब नक्सलियों से दो-दो हाथ करने आरपीएफ(रेलवे सुरक्षा बल) और आरपीएसएफ(रेलवे सुरक्षा विशेष बल) की एलीट कमांडो फोर्स कोरस(Elite commando force Corus) दक्षिण बस्तर में मैदान में उतरी है। बारूदी सुरंगों और विस्फोटकों से निपटने, स्निपिंग, ब्रीचिंग में महारत हासिल बल के कमांडो बुलेट-प्रूफ जैकेट, हेलमेट और अत्याधुनिक हथियारों व विशेष वर्दी से लैस हैं। बैरक से निकलकर यह फोर्स अब कमालूर इलाके में काम करेगी।

इस फोर्स का पहला कैंप इसी सप्ताह जिले कमालूर रेल्वे स्टेशन के पास स्थापित किया गया है। फोर्स को रणनीतिक सपोर्ट देने का काम स्थानीय फोर्स डीआरजी करेगी। खास बात यह भी है कि कमालूर में कोरस फोर्स (Elite commando force Corus)की तैनाती के लिए पहली बार पूरी तरह प्री फेब्रिकेटेड लोहे के स्ट्रक्चर तैयार कर इंस्टाल किए गए हैं, जो बैरक का काम करेंगे। इन स्ट्रक्चर का निर्माण भोगाम के नजदीक किया गया है।

अन्य केंद्रीय बलों की भी हो चुकी है तैनाती
बस्तर संभाग में सिर्फ कोरस पहला केंद्रीय बल नहीं है, जो जिसे नक्सलियों के खिलाफ मैदान में उतारा गया है। सीआरपीएफ के अलावा वर्ष 2005 में नगा आर्म्ड और एसएसबी फोर्स की तैनाती और कोबरा बटालियन, आईटीबीपी, बीएसएफ जैसे केंद्रीय बल नक्सलियों के खिलाफ अलग-अलग क्षेत्रों में तैनात हैं।

ये है खासियत
रेलवे की आरपीएफ और आरपीएसएफ को मिलाकर इस कमांडो फोर्स (Elite commando force Corus)का गठन वर्ष 2019 में किया गया था। आरपीएसएफ की 14 बटालियनों में से एक को कोरस में बदल दिया गया है। रेलवे क्षेत्रों में क्षति, अशांति, ट्रेन संचालन में व्यवधान, हमले, बंधक बनाए जाने या अपहरण, आपदा की स्थिति से संबंधित किसी भी स्थिति के लिए यह यूनिट प्रशिक्षित है। इसके अलावा नक्सलियों के खिलाफ लड़ने के लिए एनएसजी और ग्रेहाउंड फोर्स से कोरस के जवानों को काफी कठिन प्रशिक्षण दिलाया गया है।

इसलिए पड़ी जरूरत
रेलवे लाइन दोहरीकरण का कार्य जगदलपुर से दंतेवाड़ा के बीच तो पूरा हो चुका है, लेकिन दंतेवाड़ा से किरंदुल के बीच 50 किमी लंबी लाइन के दोहरीकरण कार्य दशक भर बाद भी पूरा नहीं हो सका है। लगातार हुए नक्सली हमलों में ठेकेदारों को करीब 100 करोड़ से ज्यादा की मशीनरी का नुकसान उठाना पड़ा है। इस इलाके में तुड़पारास, कमालूर, भांसी में आगजनी की आधा दर्जन से ज्यादा घटनाएं हो चुकी हैं, जिससे दूसरी लाइन बिछाने का काम नहीं हो पा रहा है। इस इलाके में नक्सलियों की भैरमगढ़ एरिया कमेटी और कमालूर एलओएस की सक्रियता के चलते दशक भर में 50 से अधिक बार पटरी उखाड़कर ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त करने, ओएचई और इंजन में आगजनी की वारदातें हो चुकी हैं।

इस संबंध में नक्सल ऑपरेशन के एडीजी विवेकानंद सिन्हा ने कहा, दक्षिण बस्तर के कामालूर में रेलवे के निर्माण की सुरक्षा के लिए पहली बार आरपीएफ की कोरस फोर्स (Elite commando force Corus)को तैनात किया है। इनकी मदद के दंतेवाड़ा की डीआरजी को भी तैनात किया गया है। यदि प्रयोग सफल रहा तो अन्य स्थानों पर आरपीएफ की तैनाती पर विचार किया जाएगा।