Domestic Violence: देश में महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. राष्ट्रीय महिला आयोग (National Commission for Women) से मिली जानकारी के मुताबिक उन्होंने साल 2022 में ‘घरेलू हिंसा के खिलाफ महिलाओं की सुरक्षा’ कैटेगरी में 6,900 से अधिक शिकायतें दर्ज की हैं.
NCW में दर्ज 30,900 से अधिक शिकायतों में से लगभग 23% के लिए घरेलू हिंसा की शिकायत एक गंभीर चिंता बनी हुई है.
कोविड महामारी के आंकड़ों पर करीब से नजर डालें तो पता चलता है कि कैटेगरी में कुल शिकायतों की संख्या 2020 में लगभग 23,700 से 30% बढ़कर 2021 में 30,800 से अधिक हो गई. पिछले साल की प्रवृत्ति को ध्यान में रखते हुए शिकायतों की संख्या अधिक रही और 30,900 अंक को पार करने के लिए वृद्धि भी हुई.
पिछले साल भी, अधिकतम शिकायतें तीन श्रेणियों में आईं- सिक्योर द राइट टू लिव विद डिग्निटी के लिए (31%), घरेलू हिंसा से महिलाओं की सुरक्षा (23%) और दहेज (15%) सहित विवाहित महिलाओं के उत्पीड़न के मामले. राज्यवार ब्रेक-अप से पता चलता है कि कुल शिकायतों में से 55% यूपी से थीं, इसके बाद दिल्ली (10%) और महाराष्ट्र (5%) थीं. 2021 में भी इन्हीं तीन राज्यों से सबसे ज्यादा शिकायतें आईं.
हेल्पलाइन प्लेटफॉर्म सेवा की गई शुरू
पिछले कुछ सालों में बढ़ती शिकायतों के कारण NCW की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने इसके लिए “जन सुनवाई के जरिए घरेलू हिंसा का सामना करने वाली महिलाओं को रिपोर्ट करने, सहायता लेने और आगे आने के लिए प्रोत्साहित किया. जुलाई 2021 में एक 24×7 हेल्पलाइन प्लेटफॉर्म (7827170170) सेवा शुरू की गई. उन्होंने कहा कि हम लगातार सोशल मीडिया सहित अपने मंच के माध्यम से महिलाओं को आगे आने, बोलने और अपनी चिंताओं को शेयर करने का संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं. अधिक महिलाएं NCW के ऑनलाइन शिकायत जरिए का उपयोग कर रही हैं.
लोगों की मानसिकता बदलने की है जरूरत
NCW अध्यक्ष ने कहा कि घरेलू हिंसा को रोकने के लिए लोगों के बीच जागरूकता फैलाने की जरूरत है और लोगों की मानसिकता को बदलने पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान देते की आवश्यकता है. उन्होंने कहा, “हालांकि एनसीडब्ल्यू शिकायतों के रोक-थाम के अलावा जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करता है.”
इंस्टीट्यूट फॉर कॉम्पिटिटिवनेस एंड सोशल प्रोग्रेस इम्पेरेटिव की बनाई गई रिपोर्ट में 2020 के लिए राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau) के आंकड़ों पर ध्यान देते हुए कहा गया है कि जहां तक महिलाओं के खिलाफ अपराध की बात है, असम, ओडिशा, दिल्ली, तेलंगाना, हरियाणा और राजस्थान में अपराध दर 90 से ऊपर थी.