150 करोड़ की वसूली के लिए एक बड़े कारोबारी को प्रशासन से जारी किया गया नोटिस
कोरोनाकाल के बाद आर्थिक हालात तथा बाजार की स्थिति सामान्य नजर आ रही है, लेकिन बैंकों से लोन लेने वालों में ऐसे लोग बड़ी संख्या में हैं जो समय पर किस्त अदा नहीं कर पा रहे हैं। केवल छह महीने में यानी जुलाई से दिसंबर 2022 तक में 250 करोड़ से ज्यादा की प्रॉपर्टी बैंकों के हवाले कर दी गई है।
शुक्रवार को केवल एक केस में ही बैंक की 150 करोड़ की वसूली के लिए एक बड़े कारोबारी को प्रशासन से नोटिस जारी किया गया है। इसमें 30 जनवरी तक संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर एकपक्षीय कार्रवाई यानी बैंक द्वारा प्रापर्टी सीज करने की चेतावनी दे दी गई है। 2019-20 और 2020-21 में ज्यादा लोग बैंक डिफाल्टर हुए। इस समय 200 कंपनियां भी बंद हो गई, क्योंकि वे एक साल में अपना कारोबार ही शुरू नहीं कर पाई।
कोरोना के समय भी 500 करोड़ से ज्यादा की प्रॉपर्टी बैंकों को नीलाम करने के लिए मिले। दावा किया जा रहा है कि कोरोना काल में बैंक डिफाल्टरी बढ़ी और इसमें अब तक कमी नहीं आई है। अभी छोटे लोन यानी 15 से 50 लाख रुपए तक का कर्ज लेने वाले किस्त नहीं पटा पा रहे हैं। कारोबारी हालात बाजार में सामान्य लग रहे हैं, लेकिन बैंकों का मानना है कि डिफाल्टरों की संख्या में कोरोनाकाल की तुलना में खास कमी नहीं आई है।
बैंक लगाते हैं सीज करने की अर्जी
कलेक्टर इस मामले में जिस सरफेसी अधिनियम 2002 के तहत कार्रवाई करते दैं, उसमें बैंकरों या वित्तीय संस्थानों को उन उधारकर्ताओं के खिलाफ बड़ी कार्रवाई का अधिकार मिलता है, जो लोन नहीं चुका पाते हैं।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के नियमों के तहत वे बैंक में रखी गिरवी प्रॉपर्टी को बेच सकते हैं या अपने अधिकार में ले सकते हैं। इसके लिए बैंकों को कलेक्टर कोर्ट में आवेदन देना होता है। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद कलेक्टर इस पर फैसला देते हैं।
87 करोड़ का लोन हुआ दोगुना
राजधानी के उद्योगपति ने पंजाब नेशनल बैंक कटोरातालाब से 87.18 करोड़ का लोन लिया था। समय पर लोन अदा नहीं करने की वजह से बैंक का कर्जा बढ़कर 150 करोड़ के आसपास हो गया है। लोन के एवज में रखी प्रॉपर्टी को अब बैंक अपने कब्जे में कर रही है।
इसके लिए कलेक्टर कोर्ट में अर्जी लगाई गई थी। सभी दस्तावेजों के निरीक्षण के बाद कलेक्टर ने आदेश जारी कर कहा कि 30 जनवरी तक इस मामले में संतोषजनक जवाब पेश करें। ऐसा नहीं करने पर एक पक्षीय कार्रवाई का आदेश भी दे दिया गया है, यानी प्रॉपर्टी बैंक के हवाले हो जाएगी।
हर माह औसतन 50 से ज्यादा मामले
केवल रायपुर प्रशासन के सामने बैंकों की ओर से हर महीने प्रापर्टी सीज के औसतन 50 केस आ रहे हैं। लगभग हर केस में बैंकों का आरोप यही है कि संबंधित लोग तीन से पांच साल पहले लिए गए लोन की किस्तें पटाना बंद कर चुके हैं।
इसमें 70 फीसदी लोन छोटे कारोबारियों और होम लोन वालों के हैं। शेष बड़े कारोबारियों के हैं, यानी 1 करोड़ रुपए या इससे ऊपर के। दोनों ही श्रेणी के लोग समय पर किस्त की अदायगी नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे ही लोगों की प्रॉपर्टी बेचने की सबसे ज्यादा अर्जी है।
बैंक डिफाल्टरों पर सरफेसी एक्ट के तहत कार्रवाई हो रही है। अभी कड़ाई ज्यादा है, इसलिए बैंकों की वसूली भी ज्यादा हो रही है। मामलों में लगातार फैसले की वजह से काफी संख्या में बंधक प्रॉपर्टी बैंकों के पास जा रही है।