देश में आज मनाई जा रही है विजयादशमी, जानें रावण दहन का शुभ मुहूर्त और शस्त्र पूजा क्यों है जरुरी
दशहरा आज 24 अक्टूबर, मंगलवार के दिन पूरे देशभर में मनाया जाएगा. इस दिन प्रभु श्री राम ने लंकापति रावण का वध कर विजय हासिल की थी. दशहरा के दिन रावण दहन कर असत्य पर सत्य की विजय का पर्व मनाया जाता है. दशहरा को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने लंकापति रावण का वध किया था, इसीलिए इस दिन को वियजदशमी के नाम से भी जाना जाता है.
रावण दहन के लिए विजय मुहूर्त
विजयदशमी के दिन विजय मुहूर्त में पूजा करना बेहद शुभ माना गया है. ऐसा माना जाता है जब आसमान में कुछ तारे दिखाई देने लगे, यह अवधि विजय मुहूर्त की होती है. अपने नाम स्वरूप विजयी प्रदान करने वाला मुहूर्त माना गया है. इस समय कोई भी पूजा या कार्य करने से अच्छा परिणाम प्राप्त होता है. मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने रावण को हराने के लिए युद्ध का आगाज इसी मुहुर्त में किया था.
विजयदशमी के दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था. इस दिन रावण दहन के साथ-साथ दुर्गा विसर्जन भी किया जाता है. इस बार दशहरा के दिन 30 साल के बाद दुर्लभ योग बन रहा है.
दशहरा पूजा विधि
दशहरा की पूजा अभिजित मुहूर्त, अपराह्र काल या विजय मुहूर्त में ही की जाती है.घर में पूजा करने के लिए ईशान कोण को अच्छी तरह साफ करें. वहां चंदन के लेप के साथ अष्टदल चक्र बनाएं.अब अष्टदल चक्र के मध्य में अपराजिताय नमः मंत्र के साथ माँ देवी अपराजिता का आह्वान करें.श्रीराम और हनुमान जी का भी पूजन करें.शस्त्रों की साफ सफाई कर विधि अनुसार पूजन करें.इस दिन देवी अपराजिता की पूजा होती है, कहते हैं श्रीराम ने भी लंका पर विजय प्राप्ति के लिए मां अपराजिता की पूजा की थी.
दशहरा 2023 शुभकामना संदेश
विजय सत्य की हुई हमेशा हारी सदा बुराई है,
आया पर्व दशहरा कहता करना सदा भलाई है.
शुभ कार्यों के लिए मांगलिक दिन है दशहरा
दशहरा के दिन को सर्वसिद्धिदायक कहा जाता है. इसलिए सभी तरह के शुभ कार्यों के लिए आज का दिन शुभ होता है. ऐसी मान्यता है कि, इस दिन जो कार्य शुरू किए जाए उसमें सफलता मिलती है. इसलिए इस दिन बच्चों का अक्षर लेखन, दुकान या घर का निर्माण, गृह प्रवेश, मुंडन, अन्नप्राशन, नामकरण, कारण छेदन, यज्ञोपवीत संस्कार आदि जैसे शुभ कार्य किए जाते हैं.
दशहरा पर पान का महत्व
दशहरा के दिन पान खाने, खिलाने और हनुमानजी को अर्पित करने का महत्त्व है. क्योंकि पान को मान-सम्मान, प्रेम और विजय का सूचक माना जाता है. इसलिए आज के दिन रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद दहन के बाद पान का बीड़ा खाना चाहिए. इसका एक कारण यह भी है कि, नवरात्रि के बाद मौसम में बदलाव होने के कारण संक्रामक रोग फैलने का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में स्वास्थ्य की दृष्टि से भी पान का सेवन पाचन क्रिया को मजबूत कर संक्रामक रोगों से बचाता है.
दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी देखने का महत्व (
दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी के दर्शन करना अति शुभ माना जाता है. माना जाता है कि अगर आपको नीलकंठ पक्षी के दर्शन हो जाए तो आपके सारे बिगड़े काम बन जाते हैं. नीलकंठ पक्षी को भगवान का प्रतिनिधि माना गया है. दशहरे पर नीलकंठ पक्षी के दर्शन होने से पैसों और संपत्ति में बढ़ोतरी होती है.