सूर्याभिषेक’ के बाद रामलला का अलौकिक शृंगार, दर्शन कर भाव-विभोर हुए रामभक्त
राममंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद यह पहली रामनवमी है। भगवान श्रीराम का सूर्य तिलक हो गया है। सूर्य की किरणों से रामलला का सूर्याभिषेक किया गया। रामनवमी पर अयोध्या में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी है।
सूर्याभिषेक के बाद रामलला का हुआ अलौकिक शृंगार
काम कोटि छबि स्याम सरीरा। नील कंज बारिद गंभीरा॥ अरुन चरन पंकज नख जोती। कमल दलन्हि बैठे जनु मोती॥ रेख कुलिस धवज अंकुर सोहे। नूपुर धुनि सुनि मुनि मन मोहे।। कटि किंकिनी उदर त्रय रेखा। नाभि गभीर जान जेहि देखा।।
रामलला के सूर्याभिषेक के बाद प्रभु का अलौकिक शृंगार किया गया। जिसे देख हर रामभक्त भाव-विभोर हो गया। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से एक्स अकाउंट पर इस चौपाई के साथ रामलला के दिव्य और भव्य शृंगार की तस्वीरें साझा की गई हैं। ट्रस्ट ने चौपाई का भावार्थ बताते हुए लिखा है कि ‘उनके नीलकमल और गंभीर जल से भरे हुए मेघ के समान श्याम शरीर में करोड़ों कामदेवों की शोभा है। लाल-लाल चरण कमलों के नखों की शुभ्र ज्योति ऐसी मालूम होती है, जैसे लाल कमल के पत्तों पर मोती स्थिर हो गए हों। चरणतलों में वज्र, ध्वजा और अंकुश के चिह्न शोभित हैं। नूपुर की ध्वनि सुनकर मुनियों का भी मन मोहित हो जाता है। कमर में करधनी और पेट पर तीन रेखाएँ हैं। नाभि की गंभीरता को तो वही जानते हैं, जिन्होंने उसे देखा है’।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने सोशल मीडिया पर शेयर की तस्वीरें
असुर नाग खग नर मुनि देवा। आइ करहिं रघुनायक सेवा।। जन्म महोत्सव रचहिं सुजाना। करहिं राम कल कीरति गाना।।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने अपने एक्स अकाउंट पर इस चौपाई के साथ रामलला की अलौकिक तस्वीरें साझा की हैं। ट्रस्ट ने चौपाई का भावार्थ बताते हुए लिखा है कि असुर-नाग, पक्षी, मनुष्य, मुनि और देवता सब अयोध्या में आकर रघुनाथ जी की सेवा करते हैं। विद्वान जन प्रभु के जन्म का महोत्सव मनाते हैं और श्री राम की सुंदर कीर्ति का गान करते हैं।
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