श्रीनगर। पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आत्मघाती हमला करने वाले आतंकी आदिल डार और इस साजिश में शामिल अन्य दहशतगर्द हमले से पूर्व आपस में वाईएसएमएस ऐप के जरिए लगातार संपर्क में थे। इस हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में स्थित बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के जिस कैंप को उड़ाया है। वहीं पर अल्फा-थ्री कंट्रोल रूम था।
अल्फा-थ्री में बैठे आतंकी सरगना ही पुलवामा हमले की साजिश को तैयार करने से लेकर उसे अमली जामा पहनाने तक कश्मीर में सक्रिय अपने कैडर को लगातार दिशा-निर्देश दे रहे थे। बताया जा रहा है कि एनआइए ने एक विदेशी जांच एजेंसी की मदद से वाईएसएमएस मैसेज डिकोड किए हैं। इसके बाद ही यह खुलासा हुआ है।
सूत्रों ने बताया कि आदिल डार और रविवार शाम को पिगलिश (त्राल) में मारा गया आतंकी मुदस्सर खान भी आपस में वाईएसएमएस के जरिए ही संपर्क में थे। हमले के चंद दिन बाद मारा गया पाकिस्तानी जैश कमांडर कामरान और गाजी रशीद भी इसी एप का इस्तेमाल कर रहे थे। एनआइए से जुड़े सूत्रों की मानें तो मुदस्सर और कामरान गाजी के ठिकानों से मिले मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रानिक उपकरणों से भी पता चला है कि सभी आतंकी वाईएसएमएस का ही इस्तेमाल कर रहे थे।
ऐसे काम करता है वाईएसएमएस
वाईएसएमएस पर कोई आडियो संदेश नहीं होता। इसके जरिए सिर्फ लिखा हुआ संदेश ही भेजा जा सकता है और यह पकड़ा नहीं जा सकता। यह सिर्फ उसी व्यक्ति तक पहुंचता है जिसके लिए यह हो। इसके लिए एक स्मार्ट फोन चाहिए, जिस पर यह एप डाउनलोड किया जाता है। इसके बाद एक वाईफाई की सुविधा वाला रेडियो सेट चाहिए, जो स्मार्ट फोन के साथ जुड़े।
फोन में सिमकार्ड के बिना ही रेडियो फ्रीक्वेंरी का इस्तेमाल करते हुए संदेश भेजा जा सकता है। इसके जरिए भेजा गया संदेश अगर किसी के हाथ लग भी जाए तो उसे डिकोड नहीं किया जा सकता।
अलकायदा करता रहा है इस्तेमाल
पुलवामा मामले की जांच से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि वाईएसएमएस जैसे एप और संबंधित तकनीक 2012 से डार्क वेब पर उपलब्ध है। अलकायदा इसका इस्तेमाल 2007 से कर रहा है। जम्मू कश्मीर में पहली बार इसका खुलासा 2015 में पकड़े गए पाकिस्तानी आतंकी सज्जाद अहमद से मिले मोबाइल फोन से हुआ था। लेकिन उसके कोड को डिकोड नहीं किया जा सका था।
अधिकारियों ने बताया कि पुलवामा हमले की जांच के दौरान वाईएसएमएस पर जैश आतंकियों द्वारा भेजे गए संदेश पकड़े गए हैं। उनमें से अधिकांश को डिकोड किया जा चुका है। इन संदेशों को डिकोड करने में किसी विदेशी एजेंसी के सहयोग पर चुप्पी साधते हुए सुरक्षा अधिकारियों ने कहा कि जो कुछ संदेश डिकोड किए गए हैं, उनमें से एक में जैश के आतंकियों के जनाजे का जिक्र है और एक अन्य में पुलवामा हमले का जिक्र करते हुए लिखा गया है बड़ी संख्या में भारतीय फौजी मारे गए हैं। उनकी कई गाड़ियां तबाह हुई हैं।
इसके अलावा इन संदेशों के आधार पर यह भी पता चला है कि पुलवामा हमले की साजिश को बालाकोट स्थित जैश के अल्फा थ्री कंट्रोल रूम से ही संचालित किया जा रहा था। वहां बैठे कुछ आतंकी सरगनाओं को भी कश्मीर में पुलवामा हमले की साजिश से जुड़े आतंकियों ने इसी तकनीक के जरिए संदेश भेजे हैं।