भोपाल
लोकसभा चुनाव की तिथियों की घोषणा होते ही मध्य प्रदेश में अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि राजनीतिक दल लोकसभा सीटों पर किसे अपना उम्मीदवार बनाते हैं। भारतीय जनता पार्टी में उम्रदराज नेताओं की उम्मीदवारी को लेकर स्थिति साफ नहीं है। पार्टी की चुनाव समिति ने फिलहाल इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है। इस बीच भाजपा से करीब आधा दर्जन उम्रदराज नेता अलग-अलग सीटों पर अपनी उम्मीदवारी के लिए दावा ठोंक रहे हैं। मप्र में चार चरणों में चुनाव होना है। इन नेताओं की मंशा पूरी होगी या नहीं, यह तो वक्त बताएगा, लेकिन एक बात तय है कि विधानसभा चुनाव की तरह लोकसभा चुनाव में भी उम्रदराज नेता पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी करेंगे।
विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने से नाराज पूर्व मंत्री सरताज सिंह ने भाजपा छोड़ कांग्रेस के टिकट पर व पूर्व मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था और दो सीटों पर भाजपा की मुश्किलें बढ़ाई थीं। कांग्रेस सरकार बनने के बाद कुसमरिया उनके साथ हो गए। इसके अलावा भाजपा के वरिष्ठ नेता रघुनंदन शर्मा ने पिछले दिनों कहा था कि वे पार्टी के सामने टिकट के लिए याचना नहीं करेंगे। पिछले चुनाव में मुझसे भी तैयारी के लिए कहा गया था पर बाद में मेरे साथ कपट किया गया था।
सुमित्रा महाजन
इंदौर से लगातार आठ बार की सांसद और लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन नौंवी बार भी चुनाव लड़ने के मूड में हैं। पिछले महीने उन्होंने यह कहकर अपनी मंशा साफ कर दी थी कि इंदौर की चाबी अभी मैं ही संभालूंगी। इंदौर भाजपा में सुमित्रा महाजन और कैलाश विजयवर्गीय के बीच अनबन जगजाहिर है। माना जा रहा है कि बेटे आकाश विजयवर्गीय को विधानसभा में भेजने के बाद वे खुद इंदौर से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव के वक्त 75 साल की सुमित्रा ताई ने संकेत दिए थे कि 2014 का चुनाव उनका आखिरी चुनाव होगा।
बाबूलाल गौर
अपने बयानों से पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने पार्टी की मुश्किलें बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। विधानसभा में अपनी बहू कृष्णा गौर को टिकट देने से संतुष्ट हुए बाबूलाल गौर अब पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। 88 साल के गौर कह चुके हैं कि कांग्रेस ने उन्हें भोपाल से लोकसभा चुनाव लड़ने का ऑफर दिया है। इससे अटकलें लगाई जा रही थी कि गौर कांग्रेस में शामिल होंगे। हालांकि पार्टी के मनाने के बाद उन्होंने इस विषय पर बोलना तो बंद कर दिया, लेकिन पार्टी पर टिकट के लिए वे दबाव बना रहे हैं।
कुसुम महदेले
विधानसभा चुनाव में टिकट कटने से नाराज कुसुम महदेले अब खजुराहो लोकसभा चुनाव से टिकट मांग रही हैं। भाजपा ने विधानसभा चुनाव में उम्र के आधार पर ही पन्ना विधानसभा सीट से टिकट नहीं दिया था। इसके बाद उन्होंने ट्वीट कर अपनी नाराजगी जताई। हालांकि उन्होंने पार्टी नहीं छोड़ी थी। 75 साल की महदेले ने पार्टी से कहा है कि उन्हें दमोह या खजुराहो से लोकसभा का टिकट दिया जाए।
जयंत मलैया
विधानसभा चुनाव हारे पूर्व वित्त मंत्री 71 वर्षीय जयंत मलैया भी दमोह लोकसभा सीट से दावेदारी कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने तैयारी भी शुरू कर दी है। हालांकि पार्टी ने यह तय नहीं किया है कि हारे हुए पूर्व मंत्रियों को लोकसभा का टिकट दिया जाएगा या नहीं। मलैया विधानसभा चुनाव में 798 वोट से हार गए थे। दमोह के मौजूदा सांसद प्रहलाद पटेल होशंगाबाद से चुनाव लड़ना चाहते हैं।
अंतर सिंह आर्य
विधानसभा चुनाव हारने के बाद पूर्व मंत्री अंतर सिंह आर्य खरगोन लोकसभा सीट से दावेदारी कर रहे हैं। 60 साल के आर्य को विधानसभा चुनाव में करीब 16 हजार वोट से हार मिली थी। पिछले लोकसभा चुनाव में भी उन्होंने अपने बेटे को उम्मीदवार बनाने की पुरजोर कोशिश की थी। विधायक पद छूटने के बाद अब वे लोकसभा में जाना चाहते हैं। आर्य अपने मंत्री काल में विवादित बयानों को लेकर भी चर्चा में रहे हैं।
लक्ष्मीनारायण यादव
74 साल के सागर सांसद लक्ष्मीनारायण यादव फिर चुनाव लड़ना चाहते हैं। हालांकि पार्टी ने उनके बेटे को सागर जिले की सुरखी विधानसभा से चुनाव लड़वाया था, लेकिन वे हार गए। उसके बाद से ही माना जा रहा था कि यादव अब लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे, लेकिन वे चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं। इसके अलावा मंदसौर से 72 साल के रघुनंदन शर्मा भी लोकसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं।
प्रत्याशी तय करना केंद्रीय चुनाव समिति के अधिकार का विषय
लोकसभा सीट पर प्रत्याशी तय करना केंद्रीय चुनाव समिति के अधिकार का विषय है। समिति जीतने योग्य प्रत्याशी का ही चयन करती है और सारे मापदंड भी पार्टी की केंद्रीय समिति ही तय करेगी। – रजनीश अग्रवाल, प्रवक्ता, प्रदेश भाजपा