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राजनाथ बोले- पाकिस्तान से अच्छे रिश्ते चाहते हैं, लेकिन उसे पूरी करनी होगी ये एक शर्त

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पुलवामा अटैक के बाद से भारत-पाकिस्तान के बीच तनातनी जारी है. पड़ोसी मुल्क से बयानबाजी का दौर भी चल रहा है. करतारपुर कॉरीडोर को छोड़कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दोनों देशों के बीच बातचीत बंद है. लेकिन गृहमंत्री राजनाथ सिंह पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के साथ बेहतर रिश्ते के पक्ष में हैं. उन्होंने पाकिस्तान से द्विपक्षीय बातचीत शुरू करने के लिए एक शर्त भी रखी है.

इंटरव्यू में राजनाथ सिंह ने कहा, ‘पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में भारतीय वायुसेना की एयर स्ट्राइक को पॉलिटिकल कैंपेन के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए. हम अभी भी पाकिस्तान के साथ अच्छे रिश्ते चाहते हैं. लेकिन, इसके लिए शर्त है कि पड़ोसी मुल्क को आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी होगी.’

राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की बातचीत के पेशकश के सवाल पर ये बातें कही गृहमंत्री ने कहा, ‘एयर स्ट्राइक के बाद की प्रतिक्रियाओं से ये साफ हो गया कि पाकिस्तान सदमे में है. लेकिन ये बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है, जब पूछा जाता है कि एयर स्ट्राइक में कितने लोग मारे गए. ऐसा पूछा नहीं जाना चाहिए. जब कोई ऐसे सवाल पूछता है तो इसका मतलब कि वे हमारी सेना और उनके शौर्य पर सवालिया निशान लगाने की कोशिश कर रहा है.’

राजनाथ सिंह ने कहा, ‘हम पाकिस्तान से अच्छे रिश्ते चाहते हैं. हम पड़ोसी मुल्क से बातचीत भी करना चाहते हैं, लेकिन एक चीज बिल्कुल साफ है. बातचीत और आतंकवाद साथ-साथ नहीं चल सकते.’

बातचीत फिर से शुरू हो सके, इसके लिए पाकिस्तान को क्या करना चाहिए? इस सवाल पर गृहमंत्री ने कहा, ‘पाकिस्तान को सबसे पहले तो अपनी जमीन पर चल रहे सभी आतंकी कैंपों को नष्ट करना होगा. साथ ही ये सुनिश्चित करना होगा कि आगे वह आतंकवाद के लिए न तो अपनी जमीन का इस्तेमाल करने देगा और न ही आतंकियों के लिए पनाहगार बनेगा. अगर पाकिस्तान ऐसा कर सकता है, तो हम बात करने के लिए तैयार हैं.’

वहीं, एयर स्ट्राइक को लेकर राजनाथ सिंह ने कहा, ‘एयर स्ट्राइक को चुनाव से जोड़कर बिल्कुल नहीं देखा जाना चाहिए. ये राष्ट्रीय गौरव का विषय है, न कि कोई पॉलिटिकल स्टंट. इसलिए इसका राजनीतिकरण नहीं किया जाए.’

बता दें कि राजनाथ के पहले विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी पाकिस्तान के साथ बातचीत पर अपनी राय रखी चुकी है. स्वराज ने कहा था कि ‘टॉक एंड टेरर’ यानी बातचीत और आतंकवाद एक साथ नहीं चल सकते. अगर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान इतने ही उदार हैं, तो वह मसूद अजहर को हमें क्यों नहीं सौंप देते?

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