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Chhattisgarh Govt: पखवाड़े में तीसरी बार आई नौबत, फिर कर्ज की अर्जी लेकर RBI पहुंची

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रायपुर

चुनावी महौल के बीच छत्तीसगढ़ सरकार ने फिर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआइ) में कर्ज की अर्जी लगाई है। प्रतिभूति (बांड) के एवज में इस बार सरकार 1200 करोड़ रुपए मांग रही है। मार्च के बीते 15 दिनों में यह तीसरा मौका है, जब सरकार कर्ज ले रही है। इस महीने दो बार में सरकार 1500 करोड़ का कर्ज पहले ही ले चुकी है।

चुनावी गहमा- गहमी के बीच सरकार का बार- बार कर्ज लेना विपक्षी पार्टियों के लिए बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है। भाजपा कहना है कि चुनावी फायदा उठाने के लिए भूपेश सरकार राज्य की अर्थव्यवस्था को ठप करने अमादा है। वहीं, कांग्रेस का कहना है कि भाजपा कमीशनखोरी के लिए कर्ज लेती थी, हम किसानों के लिए ले रहे हैं।

इस बार दो हिस्सों में मांगा कर्ज

सरकार ने अभी जो 1200 करोड़ के लिए आवेदन लगाया है, उसे सरकार दो हिस्सों में लेना चाह रही है। इसमें 500 करोड़ सरकार पांच वर्ष और 700 करोड़ 7 वर्ष के लिए मांग रही है। इस कर्ज के लिए सरकार को कितना ब्याजदर चुकाना पड़ेगा इसका फैसला 19 मार्च को होगा।

हर सप्ताह सरकार बेच रही बांड

इस वर्ष जनवरी से अब तक सरकार लगभग हर सप्ताह बांड बेच रही है और 8 हजार करोड़ का कर्ज ले चुकी है। 1200 करोड़ और शामिल करते ही आंकड़ा 9 हजार करोड़ के पार चला जाएगा। वहीं, सरकार पर कर्ज का भार 66 हजार करोड़ के पार पहुंच गया है।

यह कांग्रेस का राष्ट्रीय चरित्र है – श्रीवास्तव

भाजपा प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने कहा कि कर्ज लेकर अपने घर की शादी मनाने का कांग्रेस का राष्ट्रीय चरित्र है। सरकार यदि हितग्राही मूलक कोई योजना पर खर्च करती है तो इस पर कोई आपत्ति नहीं, लेकिन केवल राजनीतिक लाभ के लिए राज्य के विकास को ठप करने पर अमादा हैं। इस भारी भरकम कर्ज का सीधा असर विकास कार्यों पर पड़ रहा है।

कमीशनखोरी के लिए नहीं ले रहे कर्ज – त्रिवेदी

कांग्रेस प्रवक्ता शैलेष नितिन त्रिवेदी का कहना है कि जब कांग्रेस की सरकार (2000 से 2003) थी, तब सरकार पर कोई ऋण नहीं था। ऋण लेने की शुरुआत भाजपा सरकार ने की, वह भी ऐसे निर्माण कार्यों के लिए जिसमें कमीशनखोरी हो सके। हम किसानों को कर्जमुक्त करने और उनका धान खरीदने के लिए ले रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस के चरित्र में यही फर्क है।

अभी और कर्ज लेगी सरकार

राज्य सरकार को करीब 14 हजार करोड़ रुपए की जरुरत है। इसमें से अब तक सरकार 8 हजार करोड़ का कर्ज ले चुकी है। अभी सरकार को 6 हजार करोड़ रुपए की अभी और व्यवस्था करनी है। यह पूरी रकम कर्ज माफी और धान खरीद में जा रही है। सरकार ने किसानों का अल्पकानी कृषि ऋण माफ किया है। इसके लिए सरकार को करीब 11 हजार करोड़ रुपए से अधिक की आवश्यकता है। वहीं, धान की 2500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से की गई खरीद के लिए 2700 करोड़ की जरुर है।

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