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कायस्थ वोटों को कौन साध पाएगा? , पटना साहिब में रविशंकर Vs शत्रुघ्न

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अभिनेता और राजनेता शत्रुध्न सिन्हा ने बीजेपी का दामन छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने का फैसला कर लिया है. इस संबंध में गुरुवार को शत्रुघ्न सिन्हा ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से मुलाकात की. महागठबंधन में सीट शेयरिंग के लेकर सहमित बन गई है, जिसके तहत पटना साहिब सीट कांग्रेस के खाते में आई है. बीजेपी ने पहले ही इस सीट से रविशंकर प्रसाद को मैदान में उतार दिया है. इससे साफ जाहिर है कि पटना की सियासी रणभूमि में रविशंकर प्रसाद को अपने ही पुराने साथी शत्रुघ्न सिन्हा से कड़ा मुकाबला करना होगा.

बता दें कि दो बार से पटना साहिब सीट से सांसद रहे शत्रुघ्न सिन्हा बीजेपी में रहते हुए पीएम नरेंद्र मोदी और पार्टी नीतियों पर लगातार हमलावर रहे. इसी बगावती तेवर के चलते बीजेपी ने उनका टिकट काटकर केंद्रीय रविशंकर प्रसाद को अपना प्रत्याशी बना दिया. हालांकि बीजेपी की ओर से आरके सिन्हा भी अपने बेटे के लिए टिकट मांग रहे थे, लेकिन पार्टी ने उन पर भरोसा नहीं जताया.

जातीय समीकरण

पटना साहिब लोकसभा सीट पर जातीय समीकरण के आधार पर कायस्थों का दबदबा है. यहां कायस्थों के बाद यादव और राजपूत वोटरों का बोलबाला है. पिछले दो लोकसभा चुनावों से पटना साहिब सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार नंबर दो रहे हैं. ऐसे में महागठबंधन के तहते ये सीट कांग्रेस के खाते में गई है और माना जा रहा है कि इस सीट से शत्रुघ्न सिन्हा कांग्रेस के उम्मीदवार हो सकते हैं.

दिलचस्प बात ये है कि पटना साहिब सीट पर कायस्थ मतदाताओं का झुकाव बीजेपी के पक्ष में रहता है, ऐसे में शत्रुघ्न सिन्हा के कांग्रेस के टिकट पर उतरने से यहां मुकाबला दिलचस्प हो सकता है. कांग्रेस के टिकट से चुनाव मैदान में आने से शत्रुघ्न को महागठबंधन के तहत यादव, मुस्लिम, दलित मतों का समर्थन मिल सकता है. इसके अलावा कायस्थ के वोटों में भी शत्रुघ्न सेंधमारी कर सकते हैं.

वहीं, रविशंकर प्रसाद पहली बार चुनावी मैदान में उतर रहे हैं. ऐसे में कायस्थों मतों के साधने के साथ-साथ बीजेपी के परंपरागत वोटों को भी साधने की बड़ी चुनौती है. जिस तरह से आरके सिन्हा के समर्थक लगातार उनकी मुखालफत कर रहे हैं. ऐसे में उन्हें भितरघात से भी निपटना पड़ सकता है.

पटना का सियासी समीकरण

पटना साहिब लोकसभा सीट शुरू से कांग्रेस, सीपीआई और बीजेपी का गढ़ रहा है. सारंगधर सिन्हा यहां के पहले सांसद थे. रामदुलारी सिन्हा ने 1962 में कांग्रेस की ओर से यहां का प्रतिनिधित्व किया था. वहीं सीपीआई की टिकट पर राम अवतार शास्त्री यहां से तीन बार सांसद चुने गए. 1977 में इंदिरा विरोधी लहर में लोकदल के महामाया प्रसाद सिन्हा लोकसभा में पहुंचे.

सीपी ठाकुर एक बार कांग्रेस और दो बार बीजेपी से लोकसभा पहुंच चुके हैं. 1989 में बीजेपी से शैलेंद्र नाथ श्रीवास्तव भी यहां से चुनाव जीत चुके हैं. रामकृपाल यादव भी यहां से तीन बार आरजेडी के टिकट पर सांसद चुने जा चुके हैं. 2009 में परिसीमन के बाद पटना जिला की दो सीटें बनी. इसमें एक पाटिलपुत्र और दूसरी पटना साहिब सीट. पटना साहिब सीट से शत्रुघ्न सिन्हा लगातार दो बार चुनावी जंग फतह कर चुके हैं, लेकिन इस बार लड़ाई बदल गई है और शत्रुघ्न सिन्हा और रविशंकर के बीच टक्कर होगी.