Home समाचार मिला यह जवाब जब आप विधायक अलका लांबा ने लोगों से पूछा-छोड़...

मिला यह जवाब जब आप विधायक अलका लांबा ने लोगों से पूछा-छोड़ दूं ‘आप’

73
0

आम आदमी पार्टी (आप) के दो विधायकों सौरभ भारद्वाज व अलका लांबा के बीच मंगलवार देर रात तक चली ट्विटर वॉर के अगले दिन बुधवार को जामा मस्जिद इलाके में नुक्कड़ सभा बुलाई गई। अलका लांबा की तरफ से बुलाई गई इस सभा में उन्होंने कांग्रेस में जाने या आप में बने रहने पर लोगों की राय ली। दिलचस्प यह है कि सभा में मौजूद लोगों ने आप छोड़ने के बारे में नकारात्मक राय दी। अलका लांबा का कहना था कि सौरभ भारद्वाज ने सभा में आने का वादा किया था, लेकिन वह मौके पर नहीं आए।

अलका लांबा ने आरोप लगाया कि उनकी पार्टी ने चार साल में दूसरी बार उनसे इस्तीफा मांगा है। बकौल अलका लांबा, आज वह लोगों के बीच एक बात लेकर आईं हैं। 

उन्होंने कहा कि 20 साल तक कांग्रेस में रहने के बाद दिल्ली में भाजपा को हराने के लिए वह आप में शामिल हुईं, लेकिन आज कुछ लोग उनसे ही लड़ रहे हैं। आप के लोग बार-बार इस्तीफा मांग रहे हैं। इसकी वजह यह है कि वह पार्टी में लोकतंत्र की बात कर रहीं हैं।अलका लांबा ने बताया कि सौरभ भारद्वाज ने सोशल मीडिया पर इस्तीफा मांगा था। इससे साबित होता है कि आंतरिक लोकतंत्र खत्म हो गया है। सौरभ भारद्वाज ने सभा में आने का देर रात वादा किया था, लेकिन वह नहीं आए। उनसे पूछा जाना चाहिए कि सोशल मीडिया के वादे को उन्होंने पूरा क्यों नहीं किया।

आप ने विधायकों का निजी मामला बताया
उधर, दो विधायकों की सोशल मीडिया की तकरार को आप ने उनका निजी मामला करार दिया है। दिल्ली प्रदेश संयोजक गोपाल राय का कहना है कि सोशल मीडिया पर दो विधायक आपस में कुछ लिख रहे हैं। 

यह दोनों का निजी मामला है। वक्त आने पर आप इस मसले को संज्ञान में लेगी। इस तरह की बातचीत का चुनाव पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इस पर अलका लांबा का कहना है कि दिल्ली प्रदेश के मुख्य प्रवक्ता का बयान निजी कैसे हो सकता है।

गोलमोल बातों से सीधे-सीधे सवाल नहीं होते : सौरभ

विधायक सौरभ भारद्वाज का कहना है कि बुधवार दोपहर दो बजे याचिका समिति के 11 मामलों की सुनवाई थी। अध्यक्ष होने के नाते बैठक में उनका मौजूद रहना जरूरी था। अगर खाली भी होता तो उनका (अलका) भाषण सुनने नहीं जाता। 

जनमत कराने के लिए इच्छा शक्ति और साफ नीयत की जरूरत होती है। गोलमोल बातों से सीधे-सीधे सवाल नहीं होते। सौरभ भारद्वाज ने आगे कहा कि अगर अलका कांग्रेस में जाएंगी, तो भी अनुशासन से काम करना होगा। आज सच्चाई देखकर उनमें सकारात्मक परिवर्तन और धैर्य की उम्मीद है।