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ईवीएम ‘हैकिंग’ करने वाले हरिप्रसाद जिनसे चुनाव आयोग नहीं मिलना चाहता

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वेमुरु हरिप्रसाद आंध्र प्रदेश सरकार में तकनीकी सलाहकार हैं. इसके अलावा वो नेट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर भी हैं.

साल 2010 में हरिप्रसाद तब सुर्खि़यों में आए जब उन पर कथित तौर पर ईवीएम से छेड़छाड़ करने और ईवीएम चुराने के आरोप लगे. अब वह तेलुगु देशम पार्टी से जुड़े हैं.

अब उनके नाम के साथ तेलुगु देशम पार्टी ने भारत के चुनाव आयोग को प्रस्तावित टीम का नाम सौंपा तो चुनाव आयोग ने उनकी उपस्थिति पर आपत्ति जताई, इसे लेकर वह एक बार फिर सुर्खि़यों में है.

हरिप्रसाद कहते हैं, ”किसी भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण से छेड़छाड़ की जा सकती है. इसके लिए एक रसीद होनी चाहिए. तभी हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि उनका दुरुपयोग नहीं हुआ है.”

हरिप्रसाद 2009 से ईवीएम के मुद्दों पर सक्रिय हैं. वह इलेक्शन वॉच के संयोजक वीवी.राव को तकनीकी सहायता भी प्रदान कर चुके हैं, राव ने ईवीएम पर सर्वोच्च न्यायालय का रुख़ किया.

भारत के चुनाव आयोग ने सितंबर, 2009 में अपने सामने उन्हें ईवीएम हैक करने के लिए आमंत्रित किया था. हालांकि चुनाव आयोग ने हरिप्रसाद की टीम को अपना काम पूरा करने से पहले रोक दिया. इसके बाद चुनाव आयोग ने कहा कि उनकी टीम ईवीएम हैक नहीं कर पायी.

हरिप्रसाद ने कहा कि आयोग ने उन्हें काम पूरा नहीं करने दिया. उन्होंने इस पूरी घटना का वीडियो रिकॉर्डिंग जारी कराने की भी अपील की थी.

वी.वी राव कहते हैं, “हमारे काम में बाधा डालने के लिए, भारत का चुनाव आयोग खोखली दलील लेकर आया था कि ईवीएम खोलने से ईसीआईएल के पेटेंट का उल्लंघन होगा.”

साल 2010 में महाराष्ट्र से ईवीएम चुराने के आरोप में हरिप्रसाद को गिरफ्तार किया गया था. हरिप्रसाद 29 अप्रैल, 2010 को एक तेलुगू चैनल पर लाइव ये दिखा रहे थे कि कैसे एक ईवीएम को हैक किया जा सकता है.

जिस ईवीएम पर हरिप्रसाद ये डेमो दिखा रहे थे उसका इस्तेमाल महाराष्ट्र चुनाव में किया गया था.

12 मई, 2010 को महाराष्ट्र के राज्य चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र पुलिस से इसकी शिकायत की जिसके बाद उनके खिलाफ़ मामला दर्ज किया गया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.

इस पूरी घटना को राव याद करते हुए कहते हैं, ”2009 में हमने ईवीएम से संबंधित 50 सवालों के साथ चुनाव आयोग से संपर्क किया था. उनकी ओर से कोई जवाब नहीं मिलने पर हमने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया. ईवीएम पर अपनी पहली याचिका के दौरान हरिप्रसाद ने हमें तकनीकी सहायता मुहैया करायी.”

”कुछ अन्य विदेशी विशेषज्ञों ने हरिप्रसाद के साथ काम किया है. हम एक तेलुगू चैनल पर ईवीएम को कैसे हैक किया जा सकता है इसका लाइव कर रहे थे. ये ईवीएम महाराष्ट्र के एक व्यक्ति ने हमें मुहैया कराई थी. इस मामले में बाद में हरिप्रसाद को गिरफ्तार कर लिया गया. उसके बाद उन्होंने तेलुगू देशम पार्टी के साथ अपनी नज़दीकी बढ़ाई.”

हालांकि, हरिप्रसाद को 2010 में इसी मुद्दे पर सैन फ्रांसिस्को की संस्था इलेक्ट्रॉनिक फ्रंटियर फाउंडेशन ने उन्हें पायनियर पुरस्कार से सम्मानित किया. मिशिगन विश्वविद्यालय के तीन प्रतिनिधियों, हरिप्रसाद सहित नेट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के चार प्रतिनिधियों और नीदरलैंड के एक प्रतिनिधि को ये पुरस्कार दिया गया.

2010 में उन्होंने अमरीका में आयोजित कम्प्यूटिंग मशीनरी सम्मेलन के 17वें एसोसिएशन में “भारत के इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के सुरक्षा विश्लेषण” पर एक पेपर प्रकाशित किया था.

हरिप्रसाद ने अपने लिंक्डइन अकाउंट पर ईवीएम के मुद्दे पर अपना बचाव किया.

उन्होंने लिखा, ”मैंने सुरक्षा के लिहाज़ से ईवीएम का पहला स्वतंत्र ऑडिट किया है. मुझे इसके लिए जेल भेजा गया, मेरे खिलाफ़ जांच की गई. मैंने ये सबकुछ अकेले सह लिया ताकि जो लोग इसमें मेरे साथ थे वे बच सकें.”

उन्होंने यह भी लिखा कि ईवीएम के मुद्दे पर एक साल तक चुनाव आयोग के सामने गुहार लगाने के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला है.

वर्तमान में हरिप्रसाद आंध्र प्रदेश सरकार की विभिन्न तकनीकी पहलों पर सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं.

वह आंध्र प्रदेश ई-गवर्निंग काउंसिल के सदस्य थे और आंध्र प्रदेश की रियल-टाइम गवर्नेंस कमेटी के तकनीकी सलाहकार के रूप में भी काम कर चुके हैं.

अब वह एपी फाइबर ग्रिड परियोजना के प्रभारी हैं और फाइबर ग्रिड के साथ आंध्र प्रदेश में कनेक्टिविटी के काम की देखरेख करते हैं.

विधानसभा में वाई.एस.जगन मोहन रेड्डी ने आरोप लगाया था कि आंध्र प्रदेश सरकार ने हरिप्रसाद को 333 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट दिलाया.

हालांकि चंद्र बाबू नायडू ने इन आरोपों का खंडन किया.

हाल ही में जब तेलुगु देशम पार्टी के ऊपर मतदाताओं के डेटा इस्तेमाल करने का आरोप लगा तो हरि प्रसाद ने टेलीविजन स्टूडियो में आयोजित बहस में सरकार का बचाव किया.

उनके भाई वेमुरु रविकुमार तेलुगु देशम पार्टी के एनआरआई मामलों के प्रभारी हैं.

नेट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के साथ, वह सीथपल्ली गैस पावर प्राइवेट लिमिटेड, फ्यूचर स्पेस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, मैक्सिमाइज़र टेक्नोलॉजी सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड और टेक्नोलॉजी ट्रांसपेरेंसी फाउंडेशन के निदेशक मंडल का भी हिस्सा रह चुके हैं.

हाल ही में हरिप्रसाद ने चुनाव आयोग पर सवाल उठाते हुए ट्वीट किया, ”चुनाव आयोग के नियम के मुताबिक़ वीवीपैट की पर्ची पारदर्शी खिड़की पर 7 सेकंड के लिए नज़र आनी चाहिए. लेकिन वास्तव में ये पर्ची केवल 3 सेकंड के लिए दिखती है.”

इस ट्वीट के साथ उन्होंने एक वीडियो भी पोस्ट किया.