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छत्तीसगढ़ : भीषण गर्मी एवं लू से बचाव हेतु दिशा-निर्देश

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प्रदेश में अप्रैल से जून माह के दौरान भीषण गर्मी (लू) को देखते हुए इसके प्रबंधन एवं बचाव के उपाय करने के संबंध मंे राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग छत्तीसगढ़ द्वारा दिशा-निर्देश जारी किया गया है।
जारी दिशा-निर्देश के अनुसार भीषण गर्मी एवं लू से जनधन की हानि होने पर राजस्व पुस्तक परिपत्र 6-4 के अंतर्गत निहित प्रावधान अनुसार प्रभावित हितग्राहियों को अनुदान सहायता प्रदान किया जाए। इसके अतिरिक्त अनुभाग, तहसील तथा ब्लॉक स्तर पर नोडल अधिकारी की नियुक्ति कर दूरभाष, मोबाईल नंबर एवं ईमेल की जानकारी राहत आयुक्त कार्यालय को उपलब्ध कराया जाए तथा भीषण गर्मी एवं लू से बचाव की उपायों का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए।
इस संदर्भ में कलेक्टर बिलासपुर द्वारा सभी बिन्दुओं पर पालन प्रतिवेदन दो दिवस के भीतर कलेक्टर कार्यालय में उपलब्ध कराने का निर्देश सभी संबंधित विभागों को दिया गया है।
लू के लक्षण एवं बचाव के उपाय
लू के लक्षण दिखते ही तत्काल प्रारंभिक उपचार किया जाना चाहिये। लू के लक्षणों में सिर में भारीपन और दर्द का अनुभव होना, तेज बुखार के साथ मुंह का सूखना, चक्कर और उल्टी आना, कमजोरी के साथ शरीर में दर्द होना, शरीर का तापमान अधिक होने के बावजूद पसीने का ना आना, अधिक प्यास लगना और पेशाब कम आना, भूख कम लगना और बेहोश होना आदि है।
लू की स्थिति में बुखार पीड़ित व्यक्ति के सर पर ठंडे पानी की पट्टी लगायें, अधिक पानी व पेय पदार्थ पिलाएं जैसे कच्चे आम का पना, जलजीरा आदि, पीड़ित व्यक्ति को पंखे के नीचे हवा में लिटा दें, शरीर पर ठंडे पानी का छिड़काव करते रहें, पीड़ित व्यक्ति को शीघ्र ही किसी नजदीकी चिकित्सक या अस्पताल में इलाज के लिए ले जायें और मितानिन या ए.एन.एम से ओ.आर.एस.की पैकेट हेतु संपर्क करें।
लू लगने का प्रमुख कारण तेज धूप और गर्मी मंे ज्यादा देर तक रहने के कारण शरीर में पानी और खनिज मुख्यतः नमक की कमी होना होता है। अतः इससे बचाव के लिये निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिये।
बहुत अनिवार्य न हो तो घर से बाहर ना जाएं । धूप में निकलने से पहले सर व कानों को कपड़े से अच्छी तरह से बांध लें। पानी अधिक मात्रा में पीएं। अधिक समय तक धूप में न रहें। गर्मी के दौरान नरम मुलायम सूती कपड़े पहनने चाहिये ताकि हवा और कपड़े पसीने को सोखते रहे। अधिक पसीना आने की स्थिति में ओ.आर.एस.घोल पीएं । चक्कर आने, मितली आने पर छायादार स्थान पर आराम करें तथा शीतल पेयजल अथवा उपलब्ध हो तो फल का रस, लस्सी, मठा आदि का सेवन करें। प्रारंभिक सलाह के लिये 104 आरोग्य सेवा केन्द्र से निःशुल्क परामर्श लिया जाये और उल्टी, सरदर्द, तेज बुखार की दशा में निकट के अस्पताल अथवा स्वास्थ्य केन्द्र से जरूरी सलाह ली जाए।