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रायपुर : विशेष लेख : भू-जल स्तर को ऊंचा उठाने वाटर हार्वेस्टिंग है सफल उपाय

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जल संकट देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की एक गम्भीर समस्या है। विशेषज्ञों का मानना है कि वर्षा जल संरक्षण को विभिन्न उपायों के माध्यम से प्रोत्साहन देकर ही गिरते भू-जल स्तर को रोका जा सकता है। यही एक श्रेष्ठ एवं सफल विकल्प है।
इस जल प्रबन्धन के द्वारा शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जा सकता है। इसकी कई विधियां हैं –
सीधे जमीन के अन्दर : इस विधि के अन्तर्गत वर्षा जल को एक गड्ढे के माध्यम से सीधे भू-जल भण्डार में उतार दिया जाता है।.
खाई बनाकर रिचार्जिंग: इस विधि से बड़े-बड़े संस्थानों के परिसरों में बाउन्ड्री वाल के साथ-साथ बड़ी-बड़ी नालियाँ (रिचार्ज ट्रेंच) बनाकर पानी को जमीन के भीतर उतारा जाता है। यह जल जमीन में नीचे चला जाता है और भू-जल स्तर में सन्तुलन बनाए रखने में मदद करता है।
कुओं में वर्षा जल को उतारना: वर्षा जल को मकानों के ऊपर की छतों से पाइप के द्वारा घर के या पास के किसी कुएँ में उतारा जाता है। इस विधि से न केवल कुऑं रिचार्ज होता है, बल्कि कुएँ से पानी जमीन के भीतर भी चला जाता है। यह जल जमीन के अन्दर के भू-जल स्तर को ऊपर उठाता है।
ट्यूबवेल में वर्षा जल को उतारना: भवनों की छत पर बरसात के जल को संचित करके एक पाइप के माध्यम से सीधे ट्यूबवेल में उतारा जाता है। इसमें छत से ट्यूबवेल को जोड़ने वाले पाइप के बीच फिल्टर लगाना आवश्यक हो जाता है।
वर्षा जल को टैंक में जमा करना : भू-जल भण्डार को रिचार्ज करने के अलावा वर्षा जल को टैंक में जमा करके अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है। एक हजार वर्ग फुट की छत वाले छोटे मकानों के लिये उपरोक्त तरीके काफी उपयुक्त है। इन विधियों से बरसात के जल का लम्बे समय तक उपयोग किया जा सकता है।
वर्षा काल में एक छोटी छत से लगभग एक लाख लीटर पानी जमीन के अन्दर उतारा जा सकता है। इसके लिये सबसे पहले जमीन में 3 से 5 फुट चौड़ा और 5 से 10 फुट गहरा गड्ढा बनाना होता है। छत से पानी एक पाइप के जरिए इस गड्ढे में उतारा जाता है। खुदाई के बाद इस गड्ढे में सबसे नीचे बड़े पत्थर (कंकड़), बीच में मध्यम आकार के पत्थर (रोड़ी) और सबसे ऊपर बारीक रेत या बजरी डाल दी जाती है। यह विधि जल को छानने (फिल्टर करने) की सबसे आसान विधि है। यह सिस्टम फिल्टर का काम करता है। इससे बरसात में बहकर बरर्बाद हो जाने वालों पानी से वही जमीन में डालने से समीप के भूगर्भ जल स्तर को ऊंचा करता है।

वर्षा जल संरक्षण ही एकमात्र विकल्प
भूगर्भ विशेषज्ञों का मानना है कि भू-जल के अंधाधुंध दोहन होने, उसके रिचार्ज न हो पाने से जमीन की नमी खत्म होती है और सूखापन आता है। भू-जल की कमी जमीन की सतह के तापमान बढ़ जाने का एक कारण भी बनता है।
ग्रामीण-शहरी, दोनों स्थानों में पानी का दोहन नियंत्रित होने तथा जल संरक्षण एवं भण्डारण की समुचित व्यवस्था होने पर भू-गर्भ जल संचित होता रहता है।