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मोदी पर तीखे होते जा रहे हैं प्रियंका के हमले: दिनकर की कविता, महाभारत के प्रसंग से लेकर होमवर्क में फेल बच्चे तक

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कुछ दिन पहले ही प्रियंका गांधी ने मोदी की तुलना कौरव वंश के दुर्योधन से की थी जिसे उसके अहंकार के लिए जाना जाता था। इसके अलावा उन्होंने प्रधानमंत्री को स्कूल का वह बच्चा बताया जो असफल होने के बाद बहाने ढूंढता है। उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में जहां प्रधानमंत्री मोदी ने उनके पिता पर टिप्पणी की थी वहीं एक रैली के दौरान गुरुवार को प्रियंका ने मोदी पर तीखा हमला करते हुए उन्हें ‘कायर और कमजोर प्रधानमंत्री’ कह दिया। उन्होंने कहा, “मैंने इनसे बड़ा कायर और कमजोर प्रधानमंत्री नहीं देखा।”

प्रियंका गांधी ने कहा, “राजनीतिक ताकत बड़े टीवी प्रचार के माध्यम से नहीं आती, यह तब मिलती है जब व्यक्ति इस बात को मानता है कि किसी भी कुर्सी से बड़ी जनता है। व्यक्ति में जनता की परेशानियों को सुनने का, उन्हें दूर करने का और अपनी आलोचनाएं सहने का साहस होना चाहिए। यह प्रधानमंत्री न ही आप लोगों को सुनते हैं और न ही आपके सवालों के जवाब देते हैं।”

दिल्ली में अपने रोड शो के दौरान बुधवार को उन्होंने मोदी को चुनौती दी कि मतदान के दो अंतिम चरणों में वे जीएसटी, नोटबंदी, महिला सुरक्षा और युवाओं को किए गए वादों के मुद्दों पर चुनाव लड़ कर दिखाएं।

उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा कांग्रेस सरकारों पर किए गए हमले के जवाब में कहा, “उनकी हालत स्कूल के उस बच्चे की तरह है जो कभी अपना होमवर्क नहीं करता। जब शिक्षक उससे पूछते हैं तो वह कहते हैं नेहरू जी ने मेरा पेपर लेकर उसे छिपा लिया और इंदिरा जी ने कागज की नाव बना कर उसे पानी में बहा दिया।”

दिल्ली से अपना जुड़ाव बताते हुए प्रियंका ने उत्तर-पूर्व दिल्ली में अपने रोड शो में कहा कि वह दिल्ली में पैदा हुई हैं, यहां की गली-गली से वाकिफ हैं, लेकिन मोदी जी को यहां सिर्फ पांच साल हुए हैं और वह नहीं जानते कि यहां की जनता क्या चाहती है। उन्होंने कहा कि मोदी जी ने पांच सालों में जो भी ‘झूठे वादे’ किए हैं उसका जवाब मतदाता उन्हें ‘उचित उत्तर’ के साथ देंगे।

अंबाला की रैली में मंगलवार को उन्होंने कहा था, “भाजपा और मोदी जी का घमंड दुर्योधन जैसा है।” उन्होंने कहा, “इस देश ने कभी घमंड को माफ नहीं किया। इतिहास इस बात का गवाह है कि दुर्योधन में इतना अहंकार था कि जब भगवान श्रीकृष्ण उसे समझाने आए तो उसने उन्हें बंदी बनाना चाहा।”

हिंदी कवि रामधारी सिंह दिनकर की पंक्तियों का हवाला देते हुए, उन्होंने कहा कि उन्होंने लिखा था कि जब मनुष्य विनाश की ओर अग्रसर होता है, तो सबसे पहले वह जो खोता है, वह है सही और गलत के बीच अंतर करना।