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शीला दीक्षित VS मनोज तिवारी: 3 बार की CM और पूर्वांचली में किसे चुनेगी नॉर्थ ईस्ट दिल्ली?

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लोकसभा चुनाव 2019 के छठे चरण के तहत दिल्ली की 7 सीटों पर रविवार को वोटिंग होने जा रही है. वैसे तो दिल्ली की सभी सीटों पूर्वी दिल्ली, चांदनी चौक, उत्तर-पूर्व दिल्ली, नई दिल्ली, दक्षिण दिल्ली, उत्तर-पश्चिम दिल्ली और पश्चिम दिल्ली में मुकाबला सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (AAP), कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच है. लेकिन, सबसे दिलचस्प जंग उत्तर-पूर्व दिल्ली में है. यहां मुकाबला दिल्ली की तीन बार की मुख्यमंत्री रह चुकीं शीला दीक्षित और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी के बीच है. वहीं, आम आदमी पार्टी के दिलीप पांडे भी मैदान में हैं.

उत्तर-पूर्व दिल्ली में ज्यादातर आबादी पूर्वांचली और मुस्लिम की है. ये वो वोटर्स हैं, जो उत्तर प्रदेश और बिहार से कामकाज के सिलसिले में दिल्ली आए और यहीं बस गए. चुनाव में ये वोटर्स ही निर्णायक भूमिका निभाएंगे. उत्तर-पूर्व दिल्ली में चुनाव जातीय समीकरण, अवैध कॉलोनियों, माइग्रेंट आबादी के नाम पर लड़ा जाएगा.

क्या कहते हैं आंकड़े?

इस सीट पर कुल आबादी का 22 फीसदी मुस्लिमों का है, जो दिल्ली की सभी सीटों में सबसे ज्यादा है. उत्तर-पूर्व सीट की बहुल आबादी यानी मुस्लिम कुल पांच विधानसभा क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं. इनमें घोंडा, सलीमपुर, मुस्तफाबाद और बाबरपुर भी शामिल है.

2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने दिल्ली की सातों लोकसभा सीटें जीती थीं और केंद्र में मोदी की सरकार बनी थी. वहीं, 2009 में दिल्ली की जनता ने कांग्रेस के प्रति अपना विश्वास जताया था और सातों सीटें कांग्रेस की झोली में दी थी.

कौन-कौन मैदान में?
उत्तर-पूर्व दिल्ली में कांग्रेस ने शीला दीक्षित पर भरोसा जताया है. दीक्षित 15 साल तक दिल्ली की सीएम रह चुकी हैं. बीजेपी ने शीला दीक्षित के सामने प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी को उतारा है. वहीं, दिलीप पांडे इस सीट से आम आदमी पार्टी के टिकट पर सियासी पारी की शुरुआत कर रहे हैं. ऐसे में मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है.

क्या है सियासी गुणा-गणित?
अलग-अलग सर्वे में ऐसे दावे किए जा रहे हैं कि उत्तर-पूर्व दिल्ली के मुस्लिम जो कि कांग्रेस के कोर वोटर्स हैं, अब आम आदमी पार्टी की ओर शिफ्ट कर चुके हैं. साल 2015 में कांग्रेस ने यहां 10 विधानसभा क्षेत्र पर जीत हासिल की थी. लेकिन, 2019 के चुनाव में गुणा-गणित बदल चुका है. पोल पंडित और सर्वे में दावे किए जा रहे हैं कि इस बार मुस्लिम वोटर्स आम आदमी पार्टी की ओर शिफ्ट करेंगे.

हालांकि, इस निर्वाचन क्षेत्र में कुल आबादा का सबसे बड़ा हिस्सा पूर्वांचली (30 फीसदी) हैं. 2014 के लोकसभा चुनावों में इस सीट पर बीजेपी के मनोज तिवारी को जीत हासिल हुई थीं, जो खुद एक पूर्वांचली हैं और यूपी के जौनपुर से आते हैं. उन्होंने AAP के आनंद शर्मा को हराया था. मनोज तिवारी को 5,96,125 वोट मिले, जबकि शर्मा को 4,52,041 वोट. इस बार भी मनोज तिवारी मैदान में हैं. इन पांच सालों में बतौर सांसद मनोज तिवारी ने अपने समुदाय के लोगों को लुभाने की भरपूर कोशिश की और काफी राजनीतिक दबदबा हासिल किया.

मुस्लिम और पूर्वांचली के अलावा उत्तर-पूर्व दिल्ली सीट के यमुना विहार, दिलशाद गार्डन और तिमारपुर में दलित, ब्राह्मण और वैश्य की अच्छी खासी तादाद है. इस संसदीय क्षेत्र के एक हिस्से में वोटर्स का एक हिस्सा आम आदमी पार्टी के कामों से भी खासा प्रभावित हैं. लोग शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए गए कामों के लिए आप सरकार का समर्थन कर रहे हैं.