पहले गर्मी आते ही स्वाइन फ्लू से राहत महसूस की जाती थी, लेकिन अब आप इस खुशफहमी से बाहर निकलिए. खासतौर पर राजधानी रायपुर में, वजह है कि स्वाइन फ्लू का कैलीफोर्निया वायरस राजधानी में म्यूटेशन की वजह से अब मिशीगन वायरस में बदल गया है. यही वजह है कि 30 डिग्री में मरने वाला वायरस 45 डिग्री में भी न केवल जिंदा है, बल्कि लोगों को संक्रमित भी कर रहा है. पिछले तीन महीने में स्वाइन फ्लू के मरीजों की संख्या इसी वजह से 60 से ज्यादा हो गई है.
भीषण गर्मी के महीने अप्रैल में ही 10 नए मरीज मिले. हालांकि राहत की बात ये है कि सारे लोग इलाज से स्वस्थ भी हो गए हैं. विशेषज्ञों के अनुसार स्वाइन फ्लू का वायरस एच1एन1 सामान्यत: 30 डिग्री तापमान में मर जाता है. लेकिन पिछले साल तापमान जब 40 डिग्री से ऊपर गया, तब भी स्वाइन फ्लू के मरीज मिलते रहे. इसलिए डॉक्टरों ने जांच करवाई तो पता चला कि वायरस में म्यूटेशन के कारण गर्मी से प्रतिरोध की क्षमता बढ़ गई है. इस साल गर्मी पिछले साल के मुकाबले ज्यादा है और पिछले 10 दिन से तापमान 44-45 डिग्री के आसपास चल रहा है. इसके बावजूद स्वाइन फ्लू के केस मिल रहे हैं.
डॉक्टरों का दावा है कि स्वाइन फ्लू का वायरस इतनी गर्मी में भी सक्रिय जरूर है, लेकिन तापमान की वजह से यह कम घातक है. इसीलिए पिछले डेढ़-दो महीने में सूबे में स्वाइन फ्लू से किसी की मौत नहीं हुई है. अंबेडकर और निजी अस्पतालों के आइसोलेटेड वार्ड में 10 से ज्यादा संदिग्ध मरीजों का इलाज चल रहा है. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार एक जनवरी से 3 मई तक पूरे प्रदेश में 140 मरीजों की रिपोर्ट पॉजीटिव रही. वहीं मृतकों की संख्या 26 है.
सबसे ज्यादा मौत रायपुर में आठ लोगों की हुई है. इनमें कुछ निजी लैब की रिपोर्ट को शामिल नहीं किया गया है. बिलासपुर में पांच, धमतरी और राजनांदगांव में 4-4 मरीजों की मौत हुई है. जांच के लिए पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज और बलीराम कश्यप मेडिकल कॉलेज जगदलपुर में कुल 697 स्वाब के सैंपल भेजे गए है.