Home समाचार राष्ट्रभक्ति की भावना दिखावे के लिए नहीं, दिल से हो : मोहन...

राष्ट्रभक्ति की भावना दिखावे के लिए नहीं, दिल से हो : मोहन भागवत

49
0

नई दिल्ली। राष्ट्रभक्ति की भावना दिखावे के लिए नहीं, बल्कि दिल में होनी चाहिए। यह अभियानात्मक न होकर दैनिक जीवन में शामिल होनी चाहिए। जीवन का हर क्षण राष्ट्र के लिए समर्पित हो। यह उदगार दीनदयाल उपाध्याय सनातन धर्म इंटर कॉलेज, नवाबगंज में स्वयं सेवकों के प्रशिक्षण वर्ग में शिरकत करते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बौद्धिक सत्र में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि हर एक को निरंतर राष्ट्र चिन्तन के लिए समर्पित रहना चाहिए। स्वयं सेवकों में उत्साह का संचार करते हुए कहा कि सशक्त भारत देखना है तो कुछ करने के साथ कुछ संकल्प भी लेने होंगे। राष्ट्र निर्माण की खातिर कई चीजों से मुंह मोड़ना होगा। समाज का हर तबका स्वस्थ रहे और उसके समक्ष खुशहाली हो। यह तभी संभव है, जब हर एक युवा के हाथ में रोजगार होगा। इस तरह की अलख स्वयंसेवक हर वर्ग में जाकर जगाएंगे तो अपना भारत नई ऊंचाइयों को छुएगा। 

खेत-खलिहान तक करें शाखा विस्तार

संघ प्रमुख ने प्रशिक्षणार्थी स्वयं सेवकों से संवाद के जरिए उनके राष्ट्र प्रेम के भाव जाने। इसके बाद कहा कि सुदृढ़ भारत के लिए जरूरी है कि शाखाओं का विस्तार खेत-खलिहान तक हो। जब राष्ट्रवाद की अलख खेत से लेकर अपार्टमेंट तक जागेगी तो अपने आप उभरता भारत चौतरफा दिखाई देगा। अभी शाखा विस्तार की असीम संभावनाएं हर क्षेत्र में हैं। वैसे इसमें निरंतर बढ़ोतरी साल-दर-साल दर्ज हो रही है।   

शाखा में गूंजा नए भारत निर्माण का मसला

संघ प्रमुख ने सुबह दीनदयाल उपाध्याय सनातन धर्म इंटर कॉलेज में लगी शाखा में भी शिरकत की। राष्ट्रध्वज प्रणाम से शुरू हुई शाखा में मोहन भागवत ने कहा कि स्वस्थ राष्ट्र निर्माण की खातिर हर एक की हिस्सेदारी होनी चाहिए। यह काम आज का युवा बखूबी कर सकता है। कोई सरकार हो या फिर कोई व्यक्ति। अकेले कोई कुछ नहीं कर सकता है। नए भारत के निर्माण में हर कोई अपना योगदान अपने हिसाब से दे तो भारत की पहचान विश्व में अलग बनेगी। वैसे भी भारत युवा देश कहलाता है।