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दिल्‍ली की हवाई सुरक्षा में लगेगा यह अमेरिकी मिसाइल सिस्‍टम

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भारत और अमेरिका के बीच एडवांस्‍ड मिसाइल सिस्‍टम का सौदा लगभग तय हो चुका है. इस संबंध में जल्‍द अमेरिका की ओर से ‘लेटर ऑफ एक्‍सेप्‍टेंस’ का अंतिम ड्राफ्ट भेजा जाएगा. नेशनल एडवांस्‍ड सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्‍टम-II (NASAMS-II) के लिए भारत को करीब 6,000 करोड़ रुपये चुकाने होंगे.

इस अमेरिकी मिसाइल सिस्‍टम के साथ स्‍वदेशी, रूसी और इजरायली मिसाइल सिस्‍टम का इस्‍तेमाल राष्‍ट्रीय राजधानी क्षेत्र को सुरक्षित रखने के लिए किया जाएगा. यह सिस्‍टम ड्रोन्‍स से लेकर बैलिस्टिक मिसाइलों से सुरक्षा कवच मुहैया कराएगा.

NASAMS हासिल करने के लिए रक्षा मंत्रालय पहले ही ‘जरूरत’ जता चुका है. भारत में पिछले साल जुलाई में इस मिसाइल सिस्‍टम का ‘लेटर ऑफ रिक्‍वेस्‍ट’ अमेरिका को भेजा था. टाइम्‍स ऑफ इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में सूत्र के हवाले से लिखा है कि सौदा होने के दो से चार साल के भीतर डिलीवरी पूरी हो जाएगी. दिल्‍ली के चारों तरफ मिसाइल बैटरीज कहां तैनात की जाएंगी, इसका चुनाव भी हो चुका है.

अमेरिका चाहता है कि भारत उससे टर्मिनल हाई आल्‍टीट्यूड एरिया डिफेंस (THAAD) और पेट्रियट एडवांस्‍ड कैपेबिलिटी (PAC-3) मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम भी खरीदे. हालांकि रक्षा मंत्रालय पहले ही रूस से करीब 40 हजार करोड़ रुपये में एडवांस्‍ड S-400 ट्रायम्‍फ सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्‍टम की पांच स्‍क्‍वाड्रंस का सौदा कर चुका है.

S-400 की डिलीवरी अक्‍टूबर 2020 से अप्रैल 2023 के बीच होनी है. यह सिस्‍टम 380 किलोमीटर की रेंज में दुश्‍मन के बमवर्षकों, जेट्स, टोही विमानों, मिसाइलों और ड्रोन्‍स का पता लगाकर उन्‍हें ट्रैक करते हुए नष्‍ट कर सकता है.

अमेरिकी मिसाइल सिस्‍टम दिल्‍ली की हवाई सुरक्षा की सबसे अंदरूनी परत के लिए तैनात किया जाएगा. इसमें सरफेस-टू-एयर मिसाइलें, गन सिस्‍टम्‍स और AIM-120C-7 AMRAAMs (एडवांस्‍ड मीडियम-रेंज एयर-टू-एयर मिसाइल्‍स) शामिल हैं. यह सिस्‍टम इमारतों के चारों तरफ से शूट‍िंग करने में सक्षम है और 9/11 जैसे हमले से निपट सकता है.