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राजनांदगांव : छत्तीसगढ़ी लोक संगीत के पुरोधा स्वर्गीय श्री खुमान साव का पार्थिव शरीर पंच तत्व में विलीन : अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में शामिल हुए कलाकार और कलाप्रेमी

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छत्तीसगढ़ी लोक संगीत के भीष्म पितामाह स्वर्गीय श्री खुमान साव का आज दोपहर को उनके गृह गांव ठेकवा में छत्तीसगढ़ी गीत-संगीत और भजन के बीच अंतिम संस्कार किया गया है। श्री खुमान साव का बीती रात को ठेकवा के उनके पैतृक निवास में निधन हो गया। बड़ी संख्या में कलाकारों, जनप्रतिनिधियों और कला प्रेमियों ने स्वर्गीय श्री खुमान साव की अंतिम यात्रा में शामिल होकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। दुर्ग सांसद श्री विजय बघेल, गुंडरदेही विधानसभा क्षेत्र के विधायक श्री कुंवर निषाद, राजनांदगांव नगर निगम के महापौर श्री मधुसूदन यादव, कलेक्टर राजनांदगांव श्री जयप्रकाश मौर्य, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री यूबीएस चौहान सहित अन्य स्थानीय जनप्रतिनिधियों और आम नागरिकों ने भी स्वर्गीय श्री खुमान साव को श्रद्धांजलि दी। संस्कृति विभाग छत्तीसगढ़ शासन के संयुक्त संचालक श्री भगत भी स्वर्गीय श्री खुमान साव के अंतिम संस्कार में शामिल हुए। उन्होंने राज्य शासन की ओर से एक्सग्रेसिया राशि के 25 हजार रूपए नगद स्वर्गीय श्री खुमान साव के परिजनों को सौंपे।

    संगीत मर्मज्ञ श्री खुमान साव के निधन की खबर मिलते ही प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से कलाकार और कलाप्रेमी संगीत गुरू के अंतिम दर्शन के लिए ठेकवा के उनके पैतृक निवास पर पहुंचने लगे। स्वर्गीय श्री खुमान साव के पार्थिव शरीर को स्वर्ग रथ में रखकर अंतिम दर्शन के लिए पूरे गांव में घुमाया गया। स्वर्ग रथ के सामने-सामने वाहन में सु-प्रसिद्ध गायिका श्रीमती कविता वासनिक के सानिध्य में कलाकार भजन और स्वर्गीय श्री खुमान साव के संगीतबद्ध छत्तीसगढ़ी गीतों का गायन करते रहे। गांव से कुछ दूरी पर उनके पैतृक खेत में भरी दोपहरी में स्वर्गीय श्री खुमान साव की अंत्येष्टि की गई।

    अंत्येष्टि के समय भी कलाकारों द्वारा छत्तीसगढ़ी गीतों और भजनों का गायन किया जाता रहा। दुर्ग लोकसभा सांसद श्री विजय बघेल और गुंडरदेही विधायक श्री कुंवर निषाद ने कलाकारों के साथ छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय गायक और छत्तीसगढ़ी गीतों के रचयिता स्वर्गीय श्री लक्ष्मण मस्तुरिया के बेहद लोकप्रिय गीत ‘मोर संग चलव रे’ गाया। गुंडरदेही विधायक श्री कुंवर निषाद ने कहा कि छत्तीसगढ़ी लोक संगीत के क्षेत्र में गुरू का दर्जा पाए स्वर्गीय श्री खुमान साव एक कला साधक थे। उन्होंने छत्तीसगढ़ी मौलिक संगीत रचना की। छत्तीसगढ़ी संगीत के लिए उन्होंने तपस्या की है। उनकी साधना और तपस्या से ही छत्तीसगढ़ी लोक संगीत को एक नई पहचान मिली। छत्तीसगढ़ के सबसे अधिक लोकप्रिय रंगमंच ‘चंदेनी गोंदा’ के संगीतकार के रूप में उनकी प्रसिद्धि देश-प्रदेश में फैली। वे अंतिम सांस तक छत्तीसगढ़ी लोक संगीत की सेवा करते रहे।
    
तोला जाना पड़ही, तोला जाना पड़ही,
ए काया ल छोड़के हंसा, तोला जाना पड़ही

    स्वर्गीय श्री खुमान साव की अंतिम यात्रा में शामिल कलाकार भजन और छत्तीसगढ़ी गीत गाते रहे। कलाकारों ने ‘तोला जाना पड़ही, तोला जाना पड़ही, ए काया ल छोड़के हंसा, तोला जाना पड़ही’ गीत गाकर स्वर्गीय श्री खुमान साव को अंतिम बिदाई दी।
 
    अंतिम संस्कार के समय तेज धूप में कलाकार और कलाप्रेमी खेतों के पेड़ों की छांव में अलग-अलग झुंड में बैठकर स्वर्गीय श्री खुमान साव की कला यात्रा के विभिन्न प्रसंगों को याद करते रहे। सभी कलाकारों ने उन्हें गुरू बताया और कहा कि वे छत्तीसगढ़ी लोक संगीत के वट वृक्ष थे। हम सभी वट वृक्ष के डारा-खांधा हैं।

    स्वर्गीय श्री खुमान साव के अंतिम संस्कार में पद्म और सु-प्रसिद्ध गायिका श्रीमती ममता चंद्राकर, श्री गौतम चंद जैन, श्रीमती रजनी रजक, श्री प्रेम चंद्राकर, श्री भूपेन्द्र साहू, श्री दुष्यंत हरमुख, गरिमा दिवाकर, तरूण निषाद, सुनील तिवारी, मनोज वर्मा सहित बड़ी संख्या में कलाकार और कलाप्रेमी शामिल हुए।