बिहार में चमकी बुखार (एईएस) से 156 बच्चों की मौत हो गई है. इस बीमारी का अबतक न कारण पता चल पाया है और न ही निदान. लेकिन कुछ लोग इस चमकी बुखार की वजह लीची को मान रहे हैं. इससे लीची को लेकर एक भ्रम पैदा हो गया है.
एईएस पीड़ित बच्चों का इलाज कर रहे एसकेएमसीएच के अधीक्षक डॉ सुनील शाही ने कहा कि अभी तक के शोध में बीमारी के कारणों में लीची फैक्टर नहीं आया है. उन्होंने इसे महज एक भ्रांति बताकर दुख जताया कि लीची को बदनाम किया जा रहा है.
वहीं राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र के निदेशक डॉ विशाल नाथ ने लीची को एईएस बीमारी का कारण होने की संभावना को खारिज कर दिया है. उन्होने बताया कि लीची अनुसंधान केन्द्र से प्रकाशित एक किताब में एक रिसर्च रिपोर्ट छपी है, इस रिपोर्ट में बताया गया है कि लीची में कई स्वास्थ्यवर्द्धक तत्व मौजूद हैं. जिससे लीची खाने वाले को स्वास्थ्य लाभ होता है. बता दें कि राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केन्द्र लीची के सभी पहलुओं पर सतत रिसर्च करते रहते हैं.
जबकि मुजफ्फरपुर के प्रगतिशील लीची किसान और उद्यान रत्न से सम्मानित भोलानाथ झा का कहना है कि कुछ लोग लीची के खिलाफ साजिश कर रहे हैं क्योंकि लीची उनके कारोबार पर भारी पड़ रहा है.