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छत्तीसगढ़ /आयुर्वेदिक दवाओं से भी हो सकता है साइड इफेक्ट, निगरानी के लिए बना सेल

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एक आमधारणा है कि आयुर्वेदिक दवाओं से फायदा नहीं होगा तो नुकसान भी नहीं होगा, लेकिन केंद्रीय आयुष मंत्रालय का कहना है कि आयुर्वेदिक दवाओं से भी साइड इफेक्ट हो सकता है। इसकी निगरानी के लिए आयुर्वेदिक कॉलेज के प्रोफेसरों का सेल बना है। किसी भी आयुर्वेदिक औषधि के साइड इफेक्ट की शिकायत सेल में की जा सकेगी। साथ ही, सेल की जिम्मेदारी ऐसे विज्ञापनों की निगरानी करना है, जिसमें वजन और ऊंचाई घटाने-बढ़ाने से लेकर अन्य तरह के चमत्कारी प्रभाव का दावा किया जाता है। आयुर्वेदिक कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. एसआर इंचुलकर को संयोजक बनाया गया है। डॉ. राकेश ठाकुर व जीवन साहू सेल के सदस्य हैं।


औषधियों से होने वाले नुकसान पर रिसर्च : दरअसल, इस पूरी कवायद का उद्देश्य आयुर्वेदिक औषधियों से होने वाले किसी भी तरह के नुकसान पर रिसर्च कर उसका हल निकालने की है। किसी औषधि से साइड इफेक्ट होने की सूचना सरकारी औषधालय के जरिए या सीधे आयुर्वेदिक कॉलेज में की जा सकेगी। जयपुर स्थित इंटर मीडियरी सेंटर के जरिए यह रिपोर्ट दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान भेजी जाएगी। यहां साइड इफेक्ट पर रिसर्च किया जाएगा। गड़बड़ी मिलने पर दवा कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
 

डॉक्टरों से बिना पूछे दवाई खाना गलत : डॉ. इंचुलकर ने बताया कि लोग साइड इफेक्ट नहीं होने के विश्वास से इंटरनेट, टीवी या अखबार का विज्ञापन देखकर डॉक्टर से बिना पूछे दवाई ले लेते हैं। आयुर्वेद में हर तरह की बीमारी के लिए औषधियों के अलग-अलग डोज हैं। इसकी जानकारी नहीं होने पर लोगों को नुकसान होता है। ऐसे में आयुर्वेद पद्धति के बारे में गलत धारणा बनती है, जबकि इसमें संबंधित कंपनी की दवा में गड़बड़ी या मरीज की अज्ञानता असल वजह है। फॉर्मेको विजिलेंस सेल का उद्देश्य गलत दवाइयों पर कार्रवाई करना है।