पाकिस्तान ने 500 साल पुराने गुरुवारे को भारतीय सिख श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया है. बाबे-दी-बेर गुरुद्वारा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के सियालकोट में है, जो 500 साल पुराना है. इससे पहले इस गुरुद्वारे में भारतीय श्रद्धालुओं को जाने की इजाजत नहीं थी.
एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में इस तरह के कई गुरुद्वारे हैं. इन गुरुद्वारे में भारत सहित दुनियाभर के कई सिख श्रद्धालु हर साल दर्शन करने के लिए आते हैं.
स्थानीय मीडिया के मुताबिक, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गवर्नर मुहम्मद सरवर ने आदेशानुसार, बाबे-दी-बेर गुरुद्वारे को भारतीय सिख श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है. यह लाहौर से 140 किलोमीटर दूर स्थित है. इस गुरुद्वारे में देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
बाबे-दी-बेर गुरुद्वारा को लेकर ऐसी मान्यता है कि 16वीं सदी में कश्मीर यात्रा से सियालकोट लौटे गुरु नानक देव ने इसी स्थान पर बेर के एक पेड़ के नीचे आराम किया था.
मालूम हो कि हजारों की संख्या में हर साल भारतीय सिख श्रद्धालु गुरु नानक की जयंती के मौके पर पाकिस्तान जाते हैं. भारत और पाकिस्तान के बीच करतारपुर कॉरिडोर को लेकर हाल ही में एक समझौता हुआ है. ये कॉरिडोर पाकिस्तान के गुरुद्वारा दरबार साहिब को भारत के पंजाब में स्थित गुरदासपुर स्थित डेरा बाबा नानक को जोड़ता है.