किसान हरे चारे की प्रमुख फसलें बाजरा व ज्वार की बिजाई के दौरान फास्फोरस न्यूट्रेंस का इस्तेमाल अवश्य करें। फास्फोरस का प्रयोग नहीं करने से फसल में इस पोषक तत्व की कमी हो जाती है और इससे पशुओं में बांझपन एवं बार-बार गर्भधारण की समस्या बनती है। इस तत्व की कमी से पशु की प्रजनन प्रक्रिया अनियमित हो जाती है और पशुओं में बार-बार गर्भपात होने लगता है। फास्फोरस से प्रति एकड़ तीन से चार क्विंटल पैदावार बढ़ती है। आने वाले बाजरे के सीजन में किसान कपास की बिजाई के दौरान जमीन में डीएपी यानी फास्फोरस अवश्य डालें। बाजरा खासकर दक्षिणी हरियाणा की प्रमुख फसल है। अब तो सरकार ने इसका भाव भी 1950 रुपये प्रति क्विंटल कर रखा है।
ये हैं बाजरे की प्रमुख किस्में
बाजरा की प्रमुख किस्मों में पाइनर 45, पाइनर 46, पाइनर 42 और पाइनर 19 प्रमुख रूप से शामिल हैं। इस किस्म के बीज से पौधे की लंबाई आठ से 10 फीट तक बढ़ती है। जिले में अब तक करीब आठ हजार एकड़ में बाजरा की बिजाई हो चुकी है।
इस खरीफ सीजन में बाजरा की बिजाई करीब 40 हजार एकड़ को पार करने की उम्मीद है। चरखी दादरी के अलावा महेंद्रगढ़, सतनाली, कादमा, नारनौल, बाढड़ा, रेवाड़ी एरिया में भी बाजरे की बिजाई की जाती है।
हरा चारा पशुओं के लिए
प्रजनन प्रक्रिया संतुलित रखने के लिए फास्फोरस की जरूरत होती है। ऐसे में किसानों को चाहिए खरीफ की हरे चारे की बाजरा व ज्वार की फसलों में फास्फोरस न्यूट्रेंस अवश्य डालें। इससे प्रति एकड़ पैदावार भी बढ़ती है।
बाजरा, ज्वार में फास्फोरस डालें। दोनों फसल हरे चारे की हैं। हरे चारे में फास्फोरस न्यूट्रेंस होना जरूरी है। इसकी कमी से ही पशुओं में बांझपन होता है। – रमेश रोहिल्ला, कृषि विकास अधिकारी एवं टीए