अरहर दाल और प्याज के दाम बढ़ते ही केंद्र की मोदी सरकार फुल एक्शन में आ गई है. सरकार ने दालों और सब्जियों के दामों को लेकर राज्यों को सचेत रहने के निर्देश दिए है. साथ ही, सरकार ने राज्यों के खाद्य सचिवों को अरहर दाल और प्याज की राज्यावार मांग केंद्र सरकार को देने के लिए कहा है. इस फैसले के पीछे सरकार का मुख्य उद्देश्य राज्यों को पर्याप्त मात्रा में अरहर दाल और प्याज उपलब्ध कराना है. आपको बता दें कि बारिश की वजह से कई राज्यों में आवक घट गई है. इसीलिए प्याज और टमाटर की कीमतों में जोरदार तेजी आई है. दिल्ली में अरहर दाल के दाम फिर से 100 रुपये प्रति किलोग्राम है. वही, प्याज अब 40-45 रुपये प्रति किलो बिक रही है.
केंद्र ने राज्यों को दी चेतावनी
>> अरहर और प्याज का दाम को लेकर चिंतित सरकार ने सख्त निर्देश जारी किए है.
>> राज्यों को दोनो कमोडिटी के दामों की समीक्षा करनी होगी. >> राज्य की हर महीने अपनी खपत का ब्यौरा केंद्र सरकार को जारी करना होगा.
>> केंद्र सरकार राज्यों को बफर स्टॉक से प्याज और अरहर दाल मुहैया कराएगी
>> केंद्र ने प्याज का 52 हजार मेट्रिक टन बफर स्टॉक बनाया है.
>> साथ ही अरहर दाल का 6 लाख मेट्रिक टन बफर स्टॉक बनाया गया है.
>> केंद्र सरकार ने महंगाई को लेकर कमर कसी है.
>> केंद्र सरकार अपने रिटेल ऑउटलेट का दायरा भी बढ़ाने की तैयारी में है.
>> केन्द्रीय भंडार, सफल, मदर डेयरी के जरिए जरुरी वस्तुएं बेची जाएंगी.
अरहर दाल क्यों रही हैं महंगी-एक्सपर्ट्स का कहना है कि मांग बढ़ने से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अरहर दाल के दाम बढ़े हैं. साथ ही, दुनिया के बड़े अरहर दाल उत्पादक कई देशों में भी उत्पादन घटने के बाद कीमतों में तेजी आई है.
भारत म्यांमार से अरहर की दाल खरीदता है. इससे पहले साल 2015 में पहली बार भाव 200 रुपये किलग्राम के पार पहुंच गया था. भारत के अलावा म्यांमार और कुछ अफ्रीकी देशों में ही अरहर दाल पैदा होती है.
एग्रीकल्चर मिनिस्ट्री के आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल देश में अरहर की दाल का 40 लाख टन से ज्यादा उत्पादन हुआ था. वहीं, इस साल ये 35 लाख टन के करीब है.
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पिछले खरीफ सीजन में अरहर दाल की बुआई कम हुई थी. इसके अलावा सरकार ने दालों के आयात पर कई तरह के प्रतिबंध लगा रखे हैं. इस साल मानसून कमजोर रहने की संभावना से भाव चढ़े हैं.