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अंतरिक्ष में जाने से शरीर में होते हैं ये बदलाव, लंबाई से लेकर DNA तक होते हैं ये बदलाव

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ग्रेविटी, मून, अवतार, डॉक्टर स्ट्रेंज ये कुछ ऐसी फिल्में हैं जिन्हें देखकर हमेशा मन में एक सवाल आता है. क्या वाकई में अंतरिक्ष की सैर करने के बाद व्यक्ति में कुछ बदलाव आते हैं? इस सवाल का जवाब है हां, उनके शरीर में बदलाव आते हैं. यहां तक कि उन बदलाव की वजह से कई गंभीर बीमारियों से भी लोगों को जूझना पड़ता है. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने इस पर बाकायदा रिसर्च की है.

जुड़वां भाइयों पर हुई रिसर्च
नासा ने ये रिसर्च जुड़वा भाइयों स्कॉट केली और मार्क केली पर की थी. नासा ने दोनों भाइयों की मदद से ये समझने की कोशिश की कि अंतरिक्ष में होने पर और वहां से आने पर मानव शरीर में क्या बदलाव होते हैं. रिसर्च के लिए स्कॉट केली अंतरिक्ष गए और करीब एक साल तक अंतरिक्ष में रहे. इस दौरान उनके भाई मार्क धरती पर रहे. जब केली वापस आए तो उनके शरीर में होने वाले बदलावों की तुलना उनके भाई मार्क के शरीर से की गई. इस स्टडी को ‘ट्विन्स स्टडी’ कहा गया.

इन बातों से पड़ता है फर्क

अंतरिक्ष में जाने से व्यक्ति पर गुरुत्वाकर्षण, तेज रेडिएशन, अंतरिक्ष-अनुकूल आहार और सांस से जुड़ी चीजों को लेकर बदलाव महसूस होते हैं. जब स्कॉट पर रिसर्च की गई तो इन चीजों ने उन्हें आश्चर्यजनक तरीके से प्रभावित किया. शोधकर्ताओं के मुताबिक अगर आप लंबे समय तक अंतरिक्ष में रहते हैं तो, आपके शरीर में इस तरह के जैविक बदलाव आ सकते हैं.

1. पैर से सिर की तरफ बढ़ते हैं तरल पदार्थ
अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण बल जीरो हो जाता है. इससे आप भार रहित हो जाते हैं. जब गुरुत्वाकर्षण नहीं होता तो शरीर में बहने वाला खून और अन्य तरल पदार्थ पांव से सिर की तरफ बहते हैं. इससे आपके शरीर पर विपरीत प्रभाव पड़ता है और हाथ-पैर सुन्न हो जाते हैं.

अंतरिक्ष में जाने के लिए व्यक्ति का शारीरिक तौर पर फिट होना बेहद जरूरी है.

2. चेहरे में बदलाव
अंतरिक्ष में कम गुरुत्वाकर्षण होने का कारण तरल पदार्थ जब पैरों से सिर की तरफ बढ़ते हैं तो चेहरे में सूजन आने लगती है. इससे चेहरा बड़ा और भारी हो जाता है.

3. आंखों पर असर
तरल पदार्थों के उल्टे प्रवाह से मस्तिष्क पर दवाब बढ़ने लगता है. इससे आंखें खराब भी हो सकती हैं. अंतरिक्ष में तेज रेडिएशन के कारण मोतियाबिंद की बीमारी हो सकती है.

4. हड्डियों में बदलाव
अंतरिक्ष में रहने के लिए एस्‍ट्रोनॉट को विशेष तरह की एक्सरसाइज कराई जाती है. अंतरिक्ष में रहने के बाद आपको लगातार एक्सरसाइज करनी होती है. ऐसा नहीं करने पर आप अपने हड्डी के घनत्व का लगभग 12% खो सकते हैं.

5. बढ़ती है लंबाई
अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण व्यक्ति को नीचे की तरफ नहीं खींचता है. इससे रीढ़ की हड्डी में से जुड़ी हड्डी बोनमेरो के बीच द्रव से भरे डिस्क को सहेज नहीं पाती. इससे लंबाई लगभग 4% तक बढ़ जाती है. अंतरिक्ष में पहुंचने पर स्कॉट केली की लंबाई 2 इंच बढ़ गई थी. हालांकि, पृथ्वी पर वापस आने पर उनकी लंबाई वापस पहले जैसी हो गई.

6. सिकुड़ती हैं मांसपेशियां
अंतरिक्ष में मांसपेशियां सिकुड़ने लगती हैं. जब आप भार रहित होते हैं तो आपको मांसपेशियों की आवश्यकता नहीं होती है, इसलिए वह अतिरिक्त ऊत्तक को अवशोषित कर लेती हैं. यही वजह है कि अंतरिक्ष में हर यात्री के लिए व्यायाम बेहद जरूरी है.

7. कैंसर का खतरा
अंतरिक्ष में हाई रेडिएशन होता है. वहां रहने पर कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है. पृथ्वी के सुरक्षात्मक चुंबकीय क्षेत्र के बाहर आपके शरीर को कैंसर होने का खतरा हो जाता है.

8. DNA में बदलाव
हमारी जीवन की उत्पत्ति का कारण DNA है. अंतरिक्ष में होने पर शरीर के जीन्स अलग-अलग व्यवहार करने लगते हैं.  इससे प्रजनन क्षमता पर भी असर पड़ता है. वापस धरती पर आने तक इसका प्रभाव बना रहता है. इस स्टडी में नासा ने पाया कि एक साल अंतरिक्ष में रहने के बाद स्कॉट केली की जीन में लगभग 7% बदलाव हुए.