Home छत्तीसगढ़ रक्षाबंधन विशेष : दिलचस्प है कहानी, इसलिए मनाया जाता है रक्षाबंधन

रक्षाबंधन विशेष : दिलचस्प है कहानी, इसलिए मनाया जाता है रक्षाबंधन

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हिंदू पंचाग के अनुसार इस बार यह पावन पर्व 15 अगस्त (रविवार) को मनाया जाएगा. रक्षा बंधन का त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इस त्योहार का इंतजार सिर्फ भाई-बहन ही नहीं बल्कि परिवार के सभी सदस्य करते हैं. रक्षा बंधन के दिन बहनें भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं. साथ ही बहनें ईश्वर से भाई की दीर्घ आयु, सफलता और समृद्धि की कामना भी करती हैं. वहीं भाई अपने बहनों को यह वचन देते हैं कि वह हमेशा उनकी रक्षा करेंगे. जो भी बहनें अपने भाईयों से दूर रहती हैं वह कूरियर से अपने भाई को राखी भेजती हैं.

पौराणिक कथा
राजा बलि ने जब 100 यज्ञ पूर्ण कर स्वर्ग का राज्य छीनने का प्रयास किया तो देवराज इंद्र ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की. भगवान, वामन अवतार लेकर राजा बलि से भिक्षा मांगने पहुंचे. भगवान ने तीन पग में आकाश, पाताल और धरती नापकर राजा बलि को रसातल में भेज दिया. तब राजा बलि ने अपनी भक्ति से भगवान को रात-दिन अपने सामने रहने का वचन ले लिया. तब माता लक्ष्मी ने राजा बलि के पास जाकर उन्हें रक्षासूत्र बांधकर अपना भाई बनाया और भेंट में अपने पति को साथ ले आईं. उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा थी.

रक्षाबंधन पर शुभ मुहूर्त पर राखी बांधने से शुभ फल मिलता है. लेकिन कई बार किसी काम से बहनें समय पर राखी नहीं बांध पाती हैं ऐसे में वो ये काम कर सकती हैं:

मुहूर्त गुजर जाने पर क्या करें

लेकिन साथ ही यह भी जान लें कि यदि रक्षाबंधन का उचित मुहूर्त बीत जाए तो क्या उपाय करना चाहिए. आपको बता दें, इस वर्ष रक्षाबंधन पावन श्रावण मास के अंतिम सोमवार को पड़ रहा है. यह मास और दिन आशुतोष भगवान शिव को बहुत अतिप्रिय है.यदि रक्षाबंधन का उचित मुहूर्त गुजर जाए, तो बहनें अपने भाई को राखी बांधने से पहले ये आसान उपाय अपना आकर अमंगल को मंगल में बदल सकती हैं.

राखी (रक्षा सूत्र) को भगवान शिव की प्रतिमा, तस्वीर या शिवलिंग पर अर्पित करें. फिर, महामृत्युंजय मंत्र का एक माला (108 बार) जप करें. इसके बाद देवाधिदेव शिव को अर्पित किया हुआ रक्षा-सूत्र भाईयों की कलाई पर बांधें. महाकाल भगवान शिव की कृपा, महामृत्युंजय मंत्र और श्रावण सोमवार के प्रभाव से सब शुभ होगा.