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‘सरकार’ घोड़ों को हाई डोज इंजेक्शन देकर मार रही है जानें क्यों?

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छत्तीसगढ़ में घोड़ों की प्रजाति को हाई डोज इंजेक्शन देकर मारा जा रहा है. राजनांदगांव जिले में दो और दुर्ग में अब तक एक घोड़े को इंजेक्शन देकर मौत की नींद सुला दिया गया है. ऐसा कोई निजी संस्था या व्यक्ति द्वारा नहीं, बल्कि सरकारी तंत्र द्वारा ही किया जा रहा है. इसके पीछे जनता की सुरक्षा व गंभीर बीमारी से बचाने का हवाला दिया जा रहा है.

दरअसल पिछले करीब डेढ़ महीने से छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के कुछ घोड़ों में ग्लैंडर्स की बीमारी पाई गई. जांच रिपोर्ट मे ग्लैंडर्स वायरस की पुष्टि होने के बाद राजनांदगांव के पशु धन विभाग द्वारा घोड़ी को मारने के लिए राज्य शासन को पत्र लिखा गया था. शासन से आदेश मिलने के बाद इस घोड़ी को इंजेक्शन का हैवी डोज देकर मार दिया गया.

राजनांदगांव में तीसरा मामला
घोड़ी में ग्लैंडर्स वायरस का राजनांदगांव में यह दूसरा मामला है. माह भर पहले ग्लैंडर्स वायरस से ग्रासित एक अन्य घोड़ी को सरकार की अनुमति के बाद मारा गया था. दो घोड़ियों के अलावा राजनांदगांव के एक घोड़े को दुर्ग जिले में इस वायरस के कारण मारा गया था.

राजनांदगांव के पशु धन विभाग के डॉ. तरुण रामटेके ने बताया कि शहर में घोड़ों में ग्लैंडर्स वायरस फैलने की शिकायत सामने आने के बाद घोड़े और घोड़ियों की जांच की गई. इस दौरान पठानपारा बसतंपुर निवासी सुल्तान खान और शेख रोशन की घोड़ी में भी ग्लैंडर्स वायरस पाजिटीव पाया गया. उसके बाद इस घोड़ी को मौत के घाट उतार दिया गया. शहर से दूर नवागांव हेजरी में डॉक्टर और विशेषज्ञयों की देखरेख में उनके शवों को दफनाया गया. 
डॉ. रामटेके ने बताया कि ग्लैंडर्स वायरस आस-पास के 15 से 20 किलोमीटर दूर तक लोगों को प्रभावित कर सकता है. इसलिए इस खतरनाक बिमारी से प्रभावित घोड़ों और घोड़ियों को इंसानों से दूर रखा जाता है. साथ ही अधिक प्रभाव होने पर शासन की अनुमति के बाद उन्हें मार दिया जाता है ताकि दूसरे लोंगों में ये खतरनाक वायरस फैल न सके.