एक मशहूर कहावत है कि रोजाना “एक सेब खाएं और डॉक्टर से दूरी बनाएं” लेकिन इस कहावत के उलट आपको ये जानकर हैरानी होगी कि एक सेब के अंदर करीब 10 करोड़ बैक्टीरिया मौजूद होती है और इन्हें खाते हुए सावधानी नहीं बरतने से आपकी जान भी जा सकती है। जी हां, फाइबर से भरपूर और हेल्दी एप्पल भी आपको बीमार कर सकते हैं। इन्हें खाते वक्त जरा सी लापरवाही आपके लिए खतरनाक साबित हो सकती है। तो अगली बार जब आप सेब (Apple) खाएं, तो यह याद रखिए कि आप करीब 10 करोड़ बैक्टीरिया (Bacteria) खाने जा रहे हैं।
हाल ही में सेब पर हुई एक रिसर्च में ये बात सामने आई कि सेब में पाएं जाने वाले बैक्टीरिया हानिकारक या लाभदायक हैं, यह इस बात पर र्निभर करेगा कि सेब का पैदावार किस तरह से की गई है। शोधकर्ताओं का कहना है कि सेब में अधिकांश बैक्टीरिया मौजूद रहते हैं लेकिन यह इस पर निर्भर करता है कि आप किस तरह का सेब खाते हैं या सेब आर्गेनिक है या नहीं।
शोधकर्ताओं ने इस बात पर ध्यान दिया है कि जैविक रूप से उगाए गए सेब में परंपरागत रूप से उगाए गए सेब की तुलना विविध प्रकार और संतुलित बैक्टीरिया होते हैं जो उसे स्वास्थ्यकारी और स्वादिष्ट बनाते हैं। एक अध्ययन में परंपरागत रूप से भंडाररित और खरीदे गए सेबों और ताजा आर्गेनिक सेबों के बीच बैक्टीरिया की तुलना की गई। नीचे थोड़ा छितराया हुआ स्टेम, पील, गुदा, बीज और कैलिक्स (पुंजदल) -जहां फूल होता है, का अलग से विश्लेषण किया गया।
कुल मिलाकर यह पाया गया कि परंपरागत और आर्गेनिक दोनों सेबों में बैक्टीरिया की संख्या समान थी। शोध में सामने आया है कि प्रत्येक सेब के घटकों को औसत रूप से एक साथ रखने पर, नुमान लगाया कि 240 ग्राम सेब में करीब 10 करोड़ बैक्टीरिया हैं। अधिकांश बैक्टीरिया बीज में पाए गए और बाकी के अधिकतर फ्लेश में थे। अगर सेब खाते वक्त इसके बीज कोष को हटा दें तो इन बैक्टीरिया की संख्या में 1 करोड़ तक की कमी आ जाएगी।
शोध में बताया गया है कि ताजा और जैविक रूप से प्रबंधित सेबों में परंपरागत रूप से प्रबंधित सेबों की तुलना में महत्वपूर्ण रूप से अधिक विविधता, सम और विशिष्ट बैक्टीरिया का समुदाय पाया जाता है। बैक्टीरिया का विशिष्ट समूह जो स्वास्थ्य पर संभावित रूप से असर डालने के लिए जाने जाते हैं, का भी मूल्यांकन जैविक सेब के पक्ष में किया गया। शोधकर्ताओं ने शोध के दौरान पाया कि बीमार कर देने वाले बैक्टीरियों का समूह ‘इसचेरिचिया-शिंगेला’ परंपरागत रुप से पैदा किए गए सेबों में पाया गया है लेकिन जैविक सेबों में इसकी उपस्थिति नहीं थी।