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जानिए क्या है कारण, कैलाश पर्वत पर आखिर क्यों नहीं चढ़ पाते लोग

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हिंदू धर्म में कैलाश पर्वत का बहुत महत्व है, क्योंकि यह भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। लेकिन इसमें सोचने वाली बात ये है कि दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को अभी तक 7000 से ज्यादा लोग फतह कर चुके हैं, जिसकी ऊंचाई 8848 मीटर है, लेकिन कैलाश पर्वत पर आज तक कोई नहीं चढ़ पाया, जबकि इसकी ऊंचाई एवरेस्ट से लगभग 2000 मीटर कम यानी 6638 मीटर है। यह अब तक रहस्य ही बना हुआ है।

कैलाश पर्वत पर कभी किसी के नहीं चढ़ पाने के पीछे कई कहानियां प्रचलित हैं। कुछ लोगों का मानना है कि कैलाश पर्वत पर शिव जी निवास करते हैं और इसीलिए कोई जीवित इंसान वहां ऊपर नहीं पहुंच सकता। मरने के बाद या वह जिसने कभी कोई पाप न किया हो, केवल वही कैलाश फतह कर सकता है।ऐसा भी माना जाता है कि कैलाश पर्वत पर थोड़ा सा ऊपर चढ़ते ही व्यक्ति दिशाहीन हो जाता है। चूंकि बिना दिशा के चढ़ाई करना मतलब मौत को दावत देना है, इसीलिए कोई भी इंसान आज तक कैलाश पर्वत पर नहीं चढ़ पाया।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक पर्वतारोही ने अपनी किताब में लिखा था कि उसने कैलाश पर्वत पर चढ़ने की कोशिश की थी, लेकिन इस पर्वत पर रहना असंभव था, क्योंकि वहां शरीर के बाल और नाखून तेजी से बढ़ने लगते हैं। इसके अलावा कैलाश पर्वत बहुत ही ज्यादा रेडियोएक्टिव भी है। इसके अलावा कहते हैं कि कैलाश पर्वत का स्लोप (कोण) भी 65 डिग्री से ज्यादा है, जबकि माउंट एवरेस्ट में यह 40-60 तक है, जो इसकी चढ़ाई को और मुश्किल बनाता है। ये भी एक वजह है कि पर्वतारोही एवरेस्ट पर तो चढ़ जाते हैं, लेकिन कैलाश पर्वत पर नहीं चढ़ पाते। रूस के एक पर्वतारोही, सरगे सिस्टियाकोव ने बताया कि, ‘जब मैं कैलाश पर्वत के बिल्कुल पास पहुंच गया तो मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा।

मैं उस पर्वत के बिल्कुल सामने था, जिस पर आज तक कोई नहीं चढ़ सका, लेकिन अचानक मुझे बहुत कमजोरी महसूस होने लगी और मन में ये ख्याल आने लगा कि मुझे यहां और नहीं रुकना चाहिए। उसके बाद जैसे-जैसे मैं नीचे आते गया, मेरा मन हल्का होता गया।’ कैलाश पर्वत पर चढ़ने की आखिरी कोशिश लगभग 18 साल पहले यानी साल 2001 में की गई थी। जब चीन ने स्पेन की एक टीम को कैलाश पर्वत पर चढ़ने की अनुमति दी थी। फिलहाल कैलाश पर्वत की चढ़ाई पर पूरी तरह से रोक लगी हुई है, क्योंकि भारत और तिब्बत समेत दुनियाभर के लोगों का मानना है कि यह पर्वत एक पवित्र स्थान है, इसलिए इस पर किसी को भी चढ़ाई नहीं करने देना चाहिए।हालांकि कहते हैं कि 92 साल पहले यानी साल 1928 में एक बौद्ध भिक्षु मिलारेपा ही कैलाश पर्वत की तलहटी में जाने और उस पर चढ़ने में सफल रहे थे। वह इस पवित्र और रहस्यमयी पर्वत पर जाकर जिंदा वापस लौटने वाले दुनिया के पहले इंसान थे। इसका उल्लेख पौराणिक साहियों में भी मिलता है।