पूरी तरह मूल्य नियंत्रण के दायरे में शामिल स्टेंट पर नेशनल फार्मास्यूटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) दवा कंपनियों को राहत दे सकती है। शरीर में घुल जाने वाले नई पीढ़ी के स्टेंट मूल्य नियंत्रण से बाहर हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में इन आधुनिक स्टेंट को खरीदने के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी।
स्टेंट बनाने वाली कंपनियों का दावा है कि इनके निर्माण की लागत एनपीपीए की ओर से तय सीमा से अधिक है। स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, शरीर में घुल जाने वाले नई पीढ़ी के स्टेंट अत्याधुनिक हैं। पर इनकी लागत ज्यादा आ रही है।
ऐसे में इसे मूल्य नियंत्रण से बाहर करने पर विचार के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में नेशनल लिस्ट ऑफ एसेंशियल मेडिसिन में ड्रग-इल्यूटिंग स्टेंट के लिए अलग श्रेणी बनाने पर भी विचार हो सकता है।
अभी 30 हजार है अधिकतम कीमत
फरवरी 2017 में मूल्य नियंत्रण में आने से पहले स्टेंट का मूल्य 45 हजार रुपये से लेकर 1.25 लाख रुपये तक होता था। वहीं, मूल्य नियंत्रण के बाद इनकी कीमत घटकर 8261 रुपये से लेकर 30 हजार रुपये तक रह गई है। सरकार ने निर्माता कंपनियों की मांग मानी तो घुलनशील स्टेंट मूल्य नियंत्रण से बाहर किए जा सकेंगे, पर अन्य स्टेंट पर मूल्य नियंत्रण जारी रहेगा।