चिरायता छोटानागपुर के जगलों में प्रचुर मात्रा में पाया जाने वाला 1-3 फीट लंबा पौधा है। इसकी अनेक पतली-पतली शाखाएँ होती है। इसकी पत्तियां नुकीली, भालाकर, 3-4 इंच लम्बी तथा एक से सवा इंच चौड़ी होती है। फूल छोटे हल्के गुलाबी और सफ़ेद रंग के होते हैं यह बरसात के दिनों में पनपता है और जाड़े में फल तथा फूल लगते हैं। यह स्वाद में कड़वा होता है किन्तु फायदों में अमृत जैसा मीठा होता है। आज हम आपको इसके चार फायदे बताने जा रहे हैं। आइये जानते हैं उन फायदों के बारे में।
1. प्रतिरक्षा तंत्र की मजबूती में
जाहिर है किसी भी रोग को ठीक करने या उसे न होने के लिए हमारे प्रतिरक्षा तंत्र का भलीभांति काम करना जरुरी है। चिरायता आपके शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूती देने का काम करता है। इसके अलावा ये हमारे शरीर से तमाम विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का काम भी करता है।
2. रक्तशोधक के रूप में
चिरायता स्वाद में कड़वा होता है. इसलिए ये भी करेला या नीम जो कि स्वाद में कड़वा होता है, की तरह ही एक रक्त शोधक के रूप में काम करता है। इसके साथ ही ये एनीमिया से भी आपको बचाता है।
3. लीवर की समस्याओं में
चिरायता हमें लीवर की विभिन्न समस्याओं से लड़ने में भी मदद करती है। फैटी लीवर, सिरोसिस और कई अन्य लीवर से संबंधित बीमारियों को चिरायता लीवर की कोशिकाओं को रिचार्ज करके दूर करता है। चिरायता को एक अच्छा लीवर डिटॉक्सीफायर माना जाता है और ये लीवर की कोशिकाओं के काम-काज को उत्तेजित करती है।
4. कब्ज को खत्म करे
कब्ज पेट से जुड़ी हुई बीमारी है। चिरायता इसके इलाज के लिए एक बहुत अच्छा विकल्प है। इसके लिए चिरायता के पौधे से बना काढ़ा तब तक पीना चाहिए जब तक की कब्ज ठीक न हो जाए।