राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने एक बार फिर आरक्षण पर चर्चा करने की वकालत की है। उन्होंने रविवार को कहा कि जो आरक्षण के पक्ष में हैं और जो इसके खिलाफ हैं, उन्हें सौहार्दपूर्ण वातावरण में इस पर विमर्श करना चाहिए। संघ प्रमुख ने कहा कि उन्होंने आरक्षण पर पहले भी बात की थी, लेकिन तब इस पर काफी बवाल मचा था और पूरा विमर्श असली मुद्दे से भटक गया था। भागवत ने कहा कि जो आरक्षण के पक्ष में हैं, उन्हें इसका विरोध करने वालों के हितों को ध्यान में रखते हुए बोलना चाहिए। वहीं जो इसके खिलाफ हैं उन्हें भी वैसा ही करना चाहिए।
ज्ञान उत्सव के समापन सत्र में उन्होंने कहा कि आरक्षण पर बहस का परिणाम हर बार तीव्र क्रिया और प्रक्रिया के रूप में देखा गया है। इस मसले पर समाज के विभिन्न वर्गों में सौहार्द बनाने की जरूरत है। गौरतलब है कि इससे पहले संघ प्रमुख ने आरक्षण नीति की समीक्षा करने की वकालत की थी, जिसका विभिन्न दलों और जातियों ने कड़ा विरोध किया था।
उन्होंने कहा कि आरएसएस, भाजपा और पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार तीनों का अलग अस्तित्व है और किसी एक के काम के लिए दूसरे को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। मोदी सरकार पर संघ के प्रभाव पर उन्होंने फिर कहा कि क्योंकि भाजपा और सरकार में संघ के कार्यकर्ता हैं, वे आरएसएस की सुनते हैं, लेकिन उनका हमसे सहमत होना जरूरी नहीं है।