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सलामी देने के लिए बिहार पुलिस ने तानी 21 बंदूकें, चली एक भी नहीं

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बिहार के तीन बार मुख्यमंत्री रहे डॉ. जगन्नाथ मिश्रा का 19 अगस्त को दिल्ली में निधन हो गया. इसके बाद 21 अगस्त को सुपौल जिले के पैतृक गांव बलुआ में उनका अंतिम संस्कार किया गया. अंतिम संस्कार के दौरान सारा सरकारी महकमा मौजद था. डॉ. जगन्नाथ मिश्र को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई के समय 21 बंदूकों की सलामी दी जानी थी. लेकिन सलामी के दौरान पुलिसकर्मियों की 21 बंदूकों में से एक भी बंदूक नहीं चलीं.यह देखकर प्रशासनिक अमले के होश फाख्ता हो गए. हैरान करने वाली बात तो यह है कि इस पूरे घटनाक्रम के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी वहां मौजूद थे.

प्रशासनिक तंत्र जिसके ऊपर प्रदेश को संभालने की जिम्मेदारी है. अपराधियों से निपटने का जिम्मा है, उनकी एक साथ 21 बंदूकें नहीं चल पाईं. कोसी रेंज के डीआईजी सुरेश चौधरी ने कहा है कि इस मामले में जो भी दोषी होगा उस पर कार्रवाई की जाएगी.

दिल्ली में हुआ था जगन्नाथ मिश्रा का निधन

बिहार के पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्रा का लंबी बीमारी के बाद 19 अगस्त को को दिल्ली में निधन हो गया थाव. वह 82 वर्ष के थे. तीन बार बिहार के सीएम रहे मिश्रा के निधन पर राजनीतिक हलके में शोक की लहर है. सीएम नीतीश कुमार ने राज्य में तीन के दिन राजकीय शोक का ऐलान किया था . मिश्रा कैंसर से पीड़ित थे और दिल्ली में उनका इलाज चल रहा था.

तीन बार सीएम रहे जगन्नाथ मिश्रा

जगन्नाथ मिश्रा एक वक्त में बिहार में कांग्रेस का बड़ा चेहरा थे और उनके राजनीतिक कौशल की वजह से उन्हें चाणक्य कहा जाता था. जगन्नाथ मिश्रा तीन बार कांग्रेस में रहते हुए बिहार के सीएम बने थे. पहली बार 1975 में मुख्यमंत्री बने मिश्रा अप्रैल 1977 तक इस पद पर रहे. फिर 1980 उन्होंने तीन साल के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली. 1989 में मिश्रा तीन महीने के लिए सीएम बने थे. 90 के दशक में वह केंद्रीय कैबिनेट में मंत्री भी रहे. कुछ वक्त पहले वह जेडीयू में शामिल हो गए थे. बिहार के बहुचर्चित चारा घोटाले में लालू यादव के साथ वह भी आरोपी थे.

सीबीआई के स्पेशल कोर्ट ने चारा घोटाला मामले में 44 अन्य लोगों के साथ उन्हें भी दोषी ठहराया था. उन्हें चार साल की जेल और दो लाख रुपये के जुर्माने की सजा हुई थी. हालांकि बाद मे उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया था. लालू यादव इस मामले में अभी भी जेल में हैं.