Home छत्तीसगढ़ राजा के दरबार में एक विद्वान पंडित था, राजा पंडित की बुद्धिमानी...

राजा के दरबार में एक विद्वान पंडित था, राजा पंडित की बुद्धिमानी से काफी प्रभावित था, एक दिन भरे दरबार में राजा ने अपने पंडित से कहा कि आप तो बहुत बुद्धिमान हैं, लेकिन आपका पुत्र मूर्ख क्यों हैं

140
0

एक राजा के दरबार में बहुत ही विद्वान पंडित रहता था। सब लोग उसकी बुद्धिमानी की तारीफ करते थे। एक दिन राजा ने पूरे दरबार में विद्वान पंडित से कहा कि आप तो विद्वान है, लेकिन आपका पुत्र मूर्ख क्यों है। यह प्रश्न सुनकर पंडित हैरान हुआ और बोला कि महाराज आप ऐसा क्यों कह रहे हैं। राजा ने कहा कि मैं उससे पूछता हूं कि सोने और चांदी में से क्या मूल्यवान है तो वह चांदी को मूल्यवान बताता है। उसे तो इतना भी नहीं मालूम कि आखिर कौन-सी धातु ज्यादा कीमती है।

यह बात सुनकर परिवार के सभी लोग पंडित पर हंसने लगे और उसे यह बात बहुत बुरी लगी। पंडित दरबार में बिना कुछ बोले ही अपने घर चला गया। घर पहुंचकर पंडित ने अपने बेटे से पूछा कि बेटा सोने और चांदी में क्या मूल्यवान है, तो उसके बेटे ने कहा- पिताजी सोना। यह जवाब सुनकर पंडित ने अपने बेटे से कहा कि तुम्हें पता है कि सोना मूल्यवान है। फिर भी तुम राजा को गलत उत्तर क्यों देते हो।

पंडित का बेटा पूरी बात समझ गया। उसने अपने पिताजी को बताया कि मैं रोज सुबह मुख्य बाजार में जाता हूं, वहां राजा प्रजा से मिलने आते हैं। वह मेरे सामने एक सोने का और एक चांदी का सिक्का रखते हैं और कहते हैं कि इनमें से जो मूल्यवान है, तुम उठा लो। मैं रोज चांदी का सिक्का उठाता हूं। सब लोग मेरा मजाक उड़ाते हैं। लेकिन मैं सिक्का घर ले आता हूं।

पंडित ने उससे कहा कि तुम्हें पता है कि सोना ज्यादा मूल्यवान है तो तुम चांदी का सिक्का क्यों लेते हो। इसके बाद बेटा अपने पिता को कमरे में ले गया और उन्हें एक संदूक खोल कर दिखाया, जो चांदी के सिक्कों से भरा हुआ था। पंडित ने कहा कि इतने सिक्के कहां से आए। बेटे ने बताया कि हर सुबह राजा साहब जो सिक्के देते हैं, ये वही हैं।

बेटे ने कहा- अगर मैं राजा के सामने सोने का सिक्का उठा लूंगा तो वह मुझे चांदी के सिक्के भी देना बंद कर देंगे। एक सोने के सिक्के के चक्कर में इतने सारे चांदी के सिक्के कैसा गवां दूं। पंडित को पता चल गया कि उसका बेटा बुद्धिमान है। इसके बाद वह अपने बेटे को दरबार लेकर गया, जहां उन्होंने राजा को पूरी बात बताई। राजा ने पंडित के बेटे की तारीफ की और उसे सोने के सिक्कों से भरा एक संदूक दे दिया।

कथा की सीख

इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि हमें हर समय अपनी शक्ति का दिखावा नहीं करना चाहिए। जब सही समय आता है तो हमें अपनी शक्ति प्रदर्शित करनी चाहिए। सभी लोगों को हमारी ताकत अपने आप मालूम हो जाती है।