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नौकरी छोड़ मुर्गी पालना सीख रहे इंजीनियर और मैनेजमेंट डिग्रीधारी

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देश की नामी संस्थानों में काम कर रहे इंजीनियर, मैनेजर और बैंकरों को अब नौकरी रास नहीं आ रही है। मल्टीनेशनल कंपनियों के आलीशान दफ्तरों से गांव और खेतों की तरफ रुख कर रहे प्रोफेशनल अब खेती के आधुनिक तरीकों के साथ मुर्गी, बत्तख, सूकर और मधुमक्खी पालन भी सीख रहे हैं। सीएआरआई में लेयर प्रोडक्शन की ट्रेनिंग लेने आए युवाओं का कहना है कि वह नौकरी के पीछे दौड़ना छोड़कर लोगों को रोजगार देने के लायक बनना चाहते हैं।

केंद्रीय पक्षी अनुसंधान संस्थान (सीएआरआई) में लेयर उत्पादन पर 12 दिन का ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू हुआ। इसमें चार महिला प्रतिभागियों सहित कुल 63 लोग ट्रेनिंग लेने पहुंचे। इसमें एमबीए, बीटेक, लॉ के अलावा वेटनेरियन, पीएचडी डिग्रीधारी, गांवों के युवा प्रधान शामिल हुए। वे आठ राज्यों यूपी, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, त्रिपुरा, हरियाणा सहित दक्षिण भारत के विभिन्न राज्यों से है और यहां पर वे लेयर हाऊस डिजाइन, निर्माण, प्रबंधन, रोग प्रबंधन सहित कई तरह की तकनीक सीख रहे हैं। ओमान की आयल कंपनी में काम कर रहे मुरादाबाद के मोहम्मद फहत और माज अली इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग से बीटेक किया है। वे कहते हैं कि नौकरी करने से बेहतर है कि वे इंटरप्रिन्योर बनें और लोगों को रोजगार दें।

केंद्र सरकार ने उद्यम लगाने के लिए तमाम योजनाएं शुरू कर रखी हैं और वे चाहते हैं कि खुद कारोबार करें। उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के एक बैंक में सीनियर मैनेजर बीके सिंह कहते हैं कि अंडा उत्पादन के लिए लेयरफार्म लगाना चाहते हैं, रिटायरमेंट के बाद यह प्रोजेक्ट शुरू करेंगे और इसलिए वे ट्रेनिंग लेने आए। रुहेलखंड विवि से एमबीए की पढ़ाई पूरी करने वाले मोहम्मद आशिक कहते हैं कि अपना खुद का कारोबार शुरू करने में उनकी प्रबंधन डिग्री काफी काम आई। अब ट्रेनिंग लेकर इसको और आगे बढ़ाएंगे। सीएआरआई के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. एसके भांजा और कार्यक्रम को-आर्डिनेटर ने बताया कि युवाओं में एक बात खास दिखी कि उनकी सोच नौकरी करने के बजाय रोजगार देने की है।

नौकरी छोड़ अब करेंगे खुद का कारोबार

हरियाणा के जींद निवासी अमन रेधू बीटेक है। उन्होंने नौकरी की पर बाद में खुद का कारोबार शुरू करने की सोची। तकनीकी शिक्षा थी ही ऐसे में उन्होंने लेयर प्रोडक्शन यानी की अंडा उत्पादन के लिए लेयर फार्म लगाने का फैसला किया और सीएआरआई की ट्रेनिंग का हिस्सा बनें। कानपुर के प्रवीण राव हो या फिर बलिया के एमबीए डिग्रीधारी अनुराग दोनों ने नौकरी छोड़ इंटरप्रिन्योर बनने का फैसला लिया है। पुणे से एमबीए करने वाले कुमार अभिषेक या फिर उत्तराखंड के खीमानंद शर्मा दोनों अपना प्राजेक्ट लगाने के साथ लोगों को खुद ट्रेनिंग देना चाहते हैं।

यह बदलाव की ओर इशारा है

सीएआरआई के कार्यकारी निदेशक डॉ. संजीव गुप्ता ने कहा कि यह देखने में काफी अच्छा अनुभव है कि बीटेक, एमबीए सहित प्रोफेशनल डिग्री धारी युवा अब खुद का बिजनेस शुरू कर रहे हैं। यह बदलाव की ओर से इशारा कर रहा है। कई ऐसे युवा हैं जिन्होंने नौकरी छोड़कर खुद का बिजनेस प्लान किया और ट्रेनिंग लेकर इसमें विस्तार की योजना बना रहे हैं।