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मंदी और बेरोजगारी के लिए ‘नोटबंदी’ जिम्मेदार, विधानसभा चुनाव से पहले शिवसेना का भाजपा पर हमला

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  • ‘सामना’ ने मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर किया अप्रत्याशित हमला
  • सामना ने लिखा है कि नए शासन में विदेश से काला धन वापस नहीं आया
  • लिखा- नोटबंदी से कई लोगों का काला पैसा सफेद हुआ है ये स्वीकारना चाहिए

भाजपा की सहयोगी पार्टी शिवसेना ने शनिवार को अपने मुखपत्र ‘सामना’ में मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर अप्रत्याशित हमला किया। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा शुक्रवार को नोटबंदी के बाद देश में भ्रष्टाचार बढ़ने की स्वीकारोक्ति को आधार बनाते हुए सामना के संपादकीय में अर्थव्यवस्था की मंदी और बेरोजगारी के लिए पीएम मोदी की सरकार के नोटबंदी के निर्णय को जिम्मेदार ठहराया गया है। राज्य में सितंबर-अक्तूबर में होने वाले संभावित विधानसभा चुनावों से पहले शिवसेना-भाजपा के बीच अभी तक बढ़िया तालमेल देखने को मिला है, ऐसे में ‘सामना’ के इस तेवर ने लोगों को चकित किया है। सामना ने संपादकीय में लिखा कि मंदी और बेरोजगारी की जड़ नोटबंदी के निर्णय में है। 

लिखा कि नोटबंदी से कई लोगों का काला पैसा सफेद हुआ है ये स्वीकारना चाहिए। लेकिन करोड़ों लोगों ने अपनी नौकरी भी गवां दी, ये कटु सत्य है। संपादकीय में लिखा गया है कि अगर वित्तमंत्री बता देतीं कि वर्तमान सरकार में हुए भ्रष्टाचार किसने किए और उन पर क्या कार्रवाई हुई तो अच्छा होता। 

सामना ने लिखा है कि नए शासन में विदेश से काला धन वापस नहीं आया और उल्टे बैंकों को डुबोने वाले 100 से ज्यादा उद्योगपति देश से भाग गए। उन्हें सीबीआई ने नहीं रोका और ईडी ने भी नहीं टोका। संपादकीय ने सवाल उठाया है कि अर्थव्यवस्था को जो लकवा लगा है, इससे नए भारत का निर्माण कैसे होगा।