आधुनिक विज्ञान के अनुसार आमाशय में पाचन क्रिया के लिए हाइड्रोक्लोरिक अम्ल तथा पेप्सिन का स्रवण होता है। सामान्य तौर पर यह अम्ल तथा पेप्सिन आमाशय में ही रहता है तथा भोजन नली के सम्पर्क में नहीं आता है। आमाशय तथा भोजन नली के जोड पर विशेष प्रकार की मांसपेशियां होती है जो अपनी संकुचनशीलता से आमाशय एवं आहार नली का रास्ता बंद रखती है तथा कुछ खाते-पीते ही खुलती है। जब इनमें कोई विकृति आ जाती है तो कई बार अपने आप खुल जाती है और एसिड तथा पेप्सिन भोजन नली में आ जाता है। जब ऐसा बार-बार होता है तो आहार नली में सूजन तथा घाव हो जाते हैं।
खाना हमेशा ऐसे बर्तन में ही बनाना चाहिए जो पूरी तरह से बंद न हो। उसमें से हवा आसानी से गुजरनी चाहिए। मतलब चाहे बर्तन थोड़ा सा ही खुला हो, पर खुला जरूर होना चाहिए।
जब हम बंद बर्तन में खाना पकाते हैं, तो खाना गर्मी के दवाब की वजह से जल्दी पक जाता है। इस तरह जल्दी पका खाना जब हमारे शरीर के अंदर जाता है, तो धीरे-धीरे करके हमारे पेट में बहुत सी समस्याएं पैदा करता है। इनमें पेट में गैस होने की समस्या सबसे आम समस्या है।
इसलिए हमें पूरी तरह से बंद बर्तन का प्रयोग खाना पकाने के लिए नहीं करना चाहिए। प्रेशर कुकर हमारी रसोई में सबसे कॉमन बंद बर्तन है, जो दाल बनाने के प्रयोग में लाया जाता है। हम इस कुकर की जगह खुली हांडी का प्रयोग कर सकते हैं।
पुराने समय में हमारे बुजुर्ग इसी हांडी का प्रयोग करके दाल बनाया करते थे और आप जानते होंगे कि उन्हें पेट की गैस की समस्या बहुत कम होती थी। इसके अतिरक्त जब हम सब्जी वगैरा भी पकाते हैं, तो बर्तन को पूरा बंद करने के स्थान पर थोड़ा सा खुला रखना चाहिए। ताकि उस सब्जी को हवा का स्पर्श मिल सके। इस तरह पकी दाल और सब्जी आसानी से पच जाती है।