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भाई है मुख्यमंत्री और बहन आज भी सड़क किनारे बेचती हैं चाय, भाई का नाम जान कर हैरान रह जाएंगे.!

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हर किसी के जीवन में एक वक्त ऐसा आता है, जब उसे अपने परिवार वालों की सबसे अधिक याद आती है। किन्तु यह बात भी सब लोग जानते हैं कि जब कोई व्यक्ति योगी बन जाता है, तो उसके जीवन में परिवार का कोई महत्व नहीं रह जाता है। योगी बनने के बाद उसके लिए संसार का हर इंसान ही उनके परिवार का सदस्य बन जाता है। ठीक ऐसे ही हैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, जिनके लिए अब पूरा प्रदेश ही उनका परिवार बन चुका है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें विगत वर्ष 19 मार्च को ही प्रदेश की सत्ता पर योगी काबिज हुए थे। 19 मार्च को उनकी सरकार को एक वर्ष पूरे हो गए। इस अवसर पर हर कोई सीएम योगी की नीतियों की तुलना पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से कर रहा है। आपको बता दें योगी एक ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जो अपनी राजनीति के बीच कभी भी परिवारवाद को नहीं आने देते हैं। एक तरफ जहाँ पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश का पूरा परिवार पिता, पत्नी से लेकर चाचा सभी राजनीति में हैं, वहीँ सीएम योगी का परिवार आज भी सादगी भरा जीवन जी रहा है।

योगी आदित्यनाथ मूल रूप में उत्तराखंड के रहने वाले हैं। अपने 7 भाई-बहनों में वो 5वें नंबर पर हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि जहाँ योगी आज एक राज्य की बागड़ोर संभाल रहे हैं, वहीँ उनकी एक बहन आज भी उत्तराखंड के कोठार गाँव में चाय की एक छोटी सी दूकान चलाकर अपना जीवन यापन कर रही हैं। प्राप्त जानकारी के मुताबिक़ योगी की बहन शशि पयाल कोठार गाँव में बने पार्वती मंदिर के पास अपने पति पूरण सिंह के साथ रहती हैं। मंदिर के पास ही उनकी पूजा सामग्री की दूकान है, साथ में वह एक चाय की दूकान भी चलाती हैं।

मैं बड़ा होकर करूँगा जनता की सेवा

शशि ने बताया कि वो अपने भाई योगी आदित्यनाथ से अंतिम बार 11 फ़रवरी 2017 को मिली थीं। शशि के तीन बच्चे हैं एक बेटा और दो बेटियां। उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन उनका भाई उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बन जायेगा। शशि बताती हैं कि सभी भाई-बहनों में उनका स्वाभाव सबसे अलग था। वो पिताजी से कहते थे कि आपने जीवन में किया ही क्या है ? आपने सिर्फ बच्चों को पाला है। मैं बड़ा होकर जनता की सेवा करूँगा। उस वक्त हमें लगता था कि बच्चा है, तो मजाक कर रहा होगा, किन्तु आज उसकी सभी बातें सच हुई हैं।

शशि के छोटे भाई अजय सिंह बिष्ट जब 22 वर्ष के थे तभी वो घर छोड़कर गोरखपुर आये थे। दीक्षा लेने के बाद उनका नाम योगी आदित्यनाथ पड़ गया। शशि ने बताया कि जब हमें पता चला कि हमारा भाई योगी बन गया है तो हमें लगा कि वह कोई भिक्षुक बन गया होगा, जो गांवों में भिक्षा मांगने के लिए आता है। मैं जंगल में फूल-पत्ती लेने के लिए जाया करती थी, वहां मुझे कई साधू-सन्यासी दीखते हैं। उन्हें मैं बड़े ध्यान से देखा करती थी, और सोचती थी कि शायद इन्ही में मुझे मेरा भाई भी दिख जाये। शशि ने बताया कि उन्होंने अपने भाई को 23 वर्षों से राखी नहीं बाँधी है। जब वो योगी नहीं बने थे तब आखिरी बार राखी बांधी थी।