Home छत्तीसगढ़ 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बारे में जानिए ये 10 बड़ी बातें

1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बारे में जानिए ये 10 बड़ी बातें

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1962 में हुए चीन के साथ हुए युद्ध से भारत अभी उबर भी नहीं पाया था कि पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सीमा में घुसकर एक और युद्ध के संकेत दे दिए थे. 1965 में हुए भारत और पाकिस्तान के युद्ध को दुनिया के बड़े युद्धों में से एक गिना जाता है. पढ़िए भारत-पाकिस्‍तान युद्ध से जुड़ी 10 बड़ी बातें.

  • माना जाता है कि 1965 के युद्ध की नींव जनवरी, 1965 में रखी गई थी, जब पाकिस्तान ने कच्छ के रण में ऑपरेशन डेजर्ट हॉक चलाया था. इस ऑपरेशन का मकसद था कच्छ के रण की जमीन कब्जा करना और भारतीय सेना का ध्यान भटकाकर कश्मीर में हमला करना. इसके बाद बड़ी डेवलपनमेंट हुई, जब अप्रैल में लगातार दोनों देश एक-दूसरे की सीमाओं पर बने चौकियों पर गोलीबारी करने लगे.
  • 5 अगस्त, 1965. कोई तय आंकड़ा नहीं है, लेकिन अनुमान है कि करीब 33 हजार पाकिस्तानी फौजी लाइन ऑफ कंट्रोल लांघकर भारत की ओर बढ़े थे. इसके जवाब में 15 अगस्त के दिन भारतीय सेना भी एलओसी क्रॉस कर गई.
  • बढ़ते तनावों के बीच 28 अगस्त, 1965 को भारतीय सेना ने पीओके में 8 किलोमीटर अंदर जाकर हाजी पीर समेत कुछ और पोस्ट पर कब्जा कर लिया. 1 सितंबर को पाकिस्तान ने जवाब में ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम लॉन्च किया और जंग शुरू हुई.
  • पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर के अखनूर सेक्टर में हमला करना शुरू कर दिया. इस हमले के पीछे भारतीय सेना की सप्लाई को रोकने की साजिश थी. तत्कालीन रक्षा मंत्री एसबी चौहान ने तय किया कि इस युद्ध में वायुसेना को भी लगाना चाहिए. वायुसेना की 45 स्क्वॉड्रन को पाकिस्तान के खिलाफ लाया गया.
  • पाकिस्तान पर दबाव बनाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने सेना को सीमा पार कर हमला करने की खुली छूट दे दी. भारतीय सेना ने पहली बार अंतरराष्ट्रीय सीमा पार किया था. मेजर जनरल प्रसाद के नेतृत्व में भारतीय सेना का 15 इनफैंट्री ने सीमा पार की. प्रधानमंत्री शास्त्री के निर्देश के बाद भारतीय सेनाओं ने लाहौर और सियालकोट को निशाना बनाया और बड़े हमले किए.
  • 22 सितंबर तक युद्ध चला और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बीच में आना पड़ा, जिसके बाद दोनों देशों के बीच युद्ध रुका और सीजफायर की घोषणा हुई. 23 सितंबर को अधिकारिक तौर पर युद्ध समाप्ति की घोषणा हुई.
  • पाकिस्तान ने हताश होकर युद्ध अमेरिकी पैटन टैंकों को उतारने का फैसला किया. पाकिस्तान के पास 97 पैटन टैंकों का बेड़ा था. पाकिस्तान ये टैंक लेकर अमृतसर की ओर बढ़ा, खेम करन और मु्न्नाबाओ पर कब्जा किया. इन टैंकों का वजन 60 टन था और ये 105 एमएम की तोप और एम-60 राइफल से लैस था.
  • पाकिस्तान को इन टैंकों पर बहुत भरोसा था, लेकिन वीर अब्दुल हमीद ने पाकिस्तान के इस भ्रम को तोड़ दिया, जब वो अपनी जीप से टैंकों को एक के बाद एक इन पैटन टैंकों को ध्वस्त करते चले गए. हवलदार अब्दुल हमीद ने अकेले ही 7 पाकिस्तानी पैटन टैंकों को तबाह कर दिया था. इस अदम्य साहस के लिए उन्हें परमवीर चक्र से नवाजा गया.
  • आसल उत्ताड़ में हुए युद्ध को टैंकों की कब्र के नाम से भी जाना जाता है. यहां पर पाकिस्तान के 100 टैंक ध्वस्त हुए थे. ‘पैटन नगर’ इसी के बाद अस्तित्व में आया, क्योंकि पाकिस्तान ने सबसे ज्यादा टैंक यहीं भेजे थे. भारत की ओर से ध्वस्त और कब्जे में ली गई टैंकों की संख्या भी यहीं सबसे ज्यादा थी.
  • युद्ध के रुकने के बाद जो आकलन हुए, उसके मुताबिक, भारत ने 1920 किलोमीटर वर्ग जमीन पर कब्जा किया था और पाकिस्तान ने 540 वर्ग किलोमीटर जमीन पर कब्जा किया था. जंग में भारत के 2,863 और पाकिस्तान के 5,800 सैनिक मारे गए. भारत के 97 टैंक ध्वस्त हुए थे और पाकिस्तान के 450 टैंकों को भारतीय सैनिकों ने तबाह किया था. आखिरकार भारत को इस युद्ध में बड़ी जीत हासिल हुई.