दोस्तों आज हम आपको नमस्ते और नमस्कार क्या अर्थ है उनके बारे में बताने वाले है, तो चलिए जानते है.
नमस्ते और नमस्कार यह दोनों शब्दों का दृष्टि से भले ही अधिक अंतर नहीं पर प्रयोग में कुछ अंतर अवश्य है, दोनो में नमन का भाव है लेकिन ते और कार में थोड़ा अंतर है.
आपको बतादें की ते का अर्थ है आप ते जिस आपके अर्थ में प्रयुक्त हुआ है वह माता पिता गुरू या उसके समकक्ष कोई व्यक्ति हो सकता है, वह ईश्वर भी हो सकता है, माता पिता से हम नमस्ते कहते हैं.
गुरु या आदरणीय व्यक्ति को नमस्ते कहना चाहिये और अनेक श्लोकों में इसीलिये नमस्ते शब्द का प्रयोग होता है न कि नमस्कार का, होटलों आदि के द्वार पर खड़े दरबान या स्वागतकर्मी नमस्ते शब्द का प्रयोग करते हैं.
अब आपको बतादें की कार का अर्थ है किसी भाव का होना जैसे स्वीकार का अर्थ है स्व भाव का होना, नमस्कार का प्रयोग अपेक्षाकृत बराबर वाले लोगों के लिये होता है. मित्र, सहयोगी, साथ काम करने वाले और सभा को संबोधित करते समय नमस्कार कहना चाहिये, बहुत से लोगों को एक साथ नमन करना हो (जैसे सभा में या माइक पर) तो नमस्ते के स्थान पर नमस्कार कहना चाहिये.