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किस रंग की गणेश मूर्ति मानी जाती हैं शुभ, जानिए स्थापना का सही तरीका

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हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी का पर्व बहुत ही खास और विशेष माना जाता हैं वही गणेश चतुर्थी यानी की गणपति का सबसे बड़ा उत्सव होता हैं वही इस साल यह पर्व दो सितंबर से 12 सितंबर तक मनाया जाता हैं, वही गणेश पूजन से पहले श्रद्धालु धर में भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना करते हैं मगर भगवान गणेश की मूर्ति को घर में लाने से पहले कुछ विशेष बातों का भी ध्यान रखना चाहिए। वही आज हम आपको बताने जा रहे हैं, भगवान गणेश की मूर्ति से जुड़ी कुछ खास और महत्वपूर्ण बातें तो आइए जानते हैं।

जानिए गणपति की अलग अलग मूर्तियों का महत्व— 
भगवान गणेश की अलग अलग मूर्तियां अलग अलग तहर के परिणाम देती हैं सबसे ज्यादा पीले रंग की और रक्त वर्ण की मूत्रि की उपासना शुभ मानी जाती हैं वही नीले रंग के गणपित जी को उच्छिष्ट गणपति कहा जाता हैं वही इनकी उपासना विशेष दशाओं में ही की जाती हैं वही हल्दी से बनी हुई या फिर हल्दी का लेपन की हुई मूर्ति दरिद्रा गणपति कहलाती हैं यह कुछ विशेष मनोकामनाओं के लिए बहुत ही शुभ मानी जाती हैं।

वही एकदंत गणपति, श्यामवर्ण के होते हैं, इनकी उपासना से अद्भुत पराक्रम की प्राप्ति होती हैं सफेद रंग के गणपति को ऋणमोचन गणपति कहते हैं इनकी उपासना से ऋणों से मुक्ति मिलती हैं। वही चार भुजाओं वाले रक्त वर्ण के गणपति को संकष्टहरण गणपति कहते हैं।

वही गणपति जी की प्रतिमा की स्थापना दोपहर के समय करें, कलश भी स्थापित करें। लकड़ी की चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाकर मूर्ति की स्थापना करें दिनभर जलीय आहार ग्रहण करें अथवा केवल फलाहार करें। सायंकाल गणेश जी की यथा शक्ति पूजा करें। घी का दीपक जलाएं।