हमने आज जिस तरह की जीवन शेली अपना राखी है और जिस तरह की हमारी आदतें हो चली है , बड़ी बड़ी गाडियाँ , हमेशा चलने वाला एसी , पेड़ पौधों की कटाई कर देना और भी कई सारी ऐसी चीज़ें है जो की हमारी ओज़ोन परत को नुकसान पहुंचाना चाहती हैं ।
अस्पतालों में रोजाना त्वचा रोग के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। क्या आपको पता है ऐसा क्यों होता है? यह ओज़ोन परत में क्षरण होने से सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों की वजह से होता है, अगर हमने ओजोन की परत की रक्षा नहीं की तो आने वाले दिनों में और भी घातक बीमारियों का सामना करना होगा। इससे बचने के लिए हमें धरती के आसपास विद्यमान ओजोन गैस को बढ़ने से रोकना होगा।
साथ ही ओजोन परत को नुकसान पहुंचाने वाली गैसों के उत्सर्जन कम करना होगा। पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत काम करने वाले ओजोन सेल के अधिकारियों ने बताया कि आजकल बाजार में ओजोन डिफ्लेशन फ्री वाले एसी और फ्रिज बिक रहे हैं। यदि लोग इन्हें खरीदें तो ओजोन लेयर को कम नुकसान होगा। सेंटर फॉर एन्वायरमेंट एजुकेशन की प्रीति कि एसी और फ्रिज को खरीदते समय लोगों को जागरूक होने की जरूरत है। वहीं, पर्यावरणविद् ज्ञानेंद्र रावत का कहना है कि ओजोन परत के क्षरण से कैंसर, मलेरिया, मोतियाबिंद जैसी बीमारी होती हैं।
स्टायरोफोम के बर्तनों की जगह मिट्टी के कुल्हड़ों, पत्तलों, धातु या कांच के बर्तनों का प्रयोग करें। वहीं, पारंपरिक रुई के गद्दों एवं तकियों का प्रयोग करें, ताकि ओजोन परत सुरक्षित रहे।
ओजोन परत को मानव निर्मित गैसों से नुकसान होता है। इसमें सीएफसी, हैलोन्स और कार्बन टेट्राक्लोराइड शामिल हैं। सीएफसी (क्लोरोफ्लोरोकार्बन), क्लोरीन, फ्लोरीन और ऑक्सिजन से बनी गैसें या द्रव पदार्थ हैं। एसी और फ्रिज में प्रयोग होने के साथ ही कंप्यूटर, फोन में प्रयुक्त इलेक्ट्रॉनिक सर्किट बोर्ड्स को साफ करने में भी होता है। गद्दों के कुशन, फोम बनाने, स्टायरोफोम के रूप में एवं पैकिंग सामग्री में भी इसका प्रयोग होता है।