वाराणसी के जलीलपुर के एक बुनकर परिवार में जन्मी गुड़िया के घर वालों को जब पता चला कि वो किन्नर है तो उनपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। पर घर वालों ने गुड़िया का साथ दिया। गुड़िया बचपन में खाना बनाते समय जल गयी थी। उनका बदन का आधा हिस्सा जला हुआ है।
जला हुआ शरीर मेरी रोजी रोटी के आड़े आने लगा जहां मैं गुरु के साथ बधाई गाने जाऊं तो लोग कहें कि आदमी मरने के बाद जलता है तुम तो शमशान से आ रही हो। गुरु का काम खराब होने लगा था जिसपर मैंने गुरु को बताकर बधाई गाना छोड़ दिया और ट्रेन में भीख मांगने लगी ।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसारगुड़िया ने अपने बड़े भाई की मदद से और अपनी कमाई के पैसे से अपने घर मे एक पावर लूम लगा लिया । गुड़िया की वजह से भाई के परिवार में भी अंशाति होने लगी तो उसने भाई का घर छोड़ दिया और यहां जमीन लेकर मकान बनवा लिया । गुड़िया ने भाई की बड़ी बेटी, जो दिव्यांग है, उसे गोद ले लिया है । उन्हे पढ़ा रही है।
गुड़िया ने 4 साल पहले कैंट के लक्ष्मी मेडिकल हॉस्पिटल से एक घंटे की एक लडकी को गोद लिया है । जिसे गुड़िया स्कूल भेज रही है ।
गुड़िया बताती है कि मैं जैनब को डॉक्टर बनना चाहती हूं । इसलिए उसे पढ़ा रही हूं। लोग लड़कियों को कम आंकते हैं पर यही मेरे जीवन का सहारा हैं। गुड़िया किन्नर समाज मे अपना एक मुकाम बना चुकी हैं। समाज मे गलत निगाह से देखे जाने वाले किन्नर के घर से आज चार बेरोजगारों को काम मिल है और वो बुनकरी करके अपना पेट भर रहे हैं ।