आपूर्ति की कमी के कारण लगातार बढ़ रही प्याज की कीमतों के बीच केंद्र की मोदी सरकार ने तत्काल प्रभाव से सभी किस्मों के प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। सरकार ने प्याज की सभी किस्मों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। बता दें कि मौजूदा समय में प्याज की कीमतें पिछले 4 सालों की तुलना में सबसे ज्यादा दर्ज की गई हैं।
केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के मुताबिक, प्याज की निर्यात नीति को अगले आदेशों तक मुफ्त में संशोधित किया गया है। इसलिए, प्याज की सभी किस्मों का निर्यात तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित है।” हांलाकि नवरात्रि की वजह से बाजारों में प्याज की कीमतों में कुछ कमी देखने को मिल रही है।
प्रमुख प्याज उत्पादक राज्यों में मानसून की भारी बारिश से आपूर्ति प्रभावित हुई है जिसकी वजह से इसकी कीमतों में उछाल आया है। मौसम विभाग के अनुसार प्रमुख प्याज उत्पादक क्षेत्रों विशेषरूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गुजरात, पूर्वी राजस्थान और पश्चिमी मध्य प्रदेश में पिछले दो दिन में अत्यधिक बारिश हुई है। व्यापारियों का कहना है कि देश के ज्यादातर हिस्सों में अभी भंडारण वाला प्याज बेचा जा रहा है। खरीफ या गर्मियों की फसल नवंबर से बाजार में आएगी।
गौरतलब है कि प्याज की कीमत को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार ने पिछले हफ्ते इसका न्यूनतम निर्यात मूल्य 850 डॉलर प्रति टन निर्धारित किया था ताकि निर्यात पर पाबंदी से देश के बाजारों में प्याज की सप्लाई में कमी नहीं आए। इससे पहले केंद्रीय उपभोक्ता मंत्री रामविलास पासवान ने राज्य सरकारों से केंद्रीय बफर से प्याज की खरीदारी करने और उसे 24 रुपए प्रति किलो की अधिकतम खुदरा कीमत पर उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था।
केंद्र ने इस साल 56,000 टन प्याज का बफर स्टाक बनाया है। इसमें से 10,000-12,000 टन भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ नेफेड), भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ एनसीसीएफ) और मदर डेयरी ने अब तक बेचा है। खरीफ उत्पादन कम होने के कारण प्याज की कीमतों पर दबाव बना हुआ है। उत्पादक राज्यों विशेषकर महाराष्ट्र में खेती के रकबे में 10 फीसदी की गिरावट के कारण प्याज के दामों में तेजी आई है।