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क्या आप जानते हैं कि भारत में किसके पास होता है परमाणु हमले का बटन? अगर नहीं तो आज जान लीजिए

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सुरक्षा के नाम पर विभिन्न देशों ने समय समय पर विभिन्न तरह के हथियार बनाए हैं. इस तरह के कई ऐसे हथियार बनाए गये हैं, जो एक बार में एक बड़े क्षेत्र को पूरी तरह से तबाह कर सकता है. विभिन्न तरह के बम और हथियारों की तरह ही हाइड्रोजन बम का अविष्कार हुआ है. बता दें कि हाइड्रोजन बम या परमाणु बम एक थर्मो न्यूक्लियर बम होता है, जिसका विस्फोट न्यूक्लियर फ्यूज़न प्रक्रिया के द्वारा होता है.

लेकिन परमाणु बम कौन दाग सकता है ? क्या किसी प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति के पास इसका बटन होता है? क्या भारत के प्रधानमन्त्री की टेबल पर भी परमाणु बटन होता है और क्या परमाणु हमला सिर्फ चुटकी बजाते ही किया जा सकता है?

ऐसे सभी सवालों के जवाब आज हम जानने की कोशिश करेंगे परमाणु हमले के लिए किस प्रकार की प्रक्रिया अपनायी जाती है और इसमें कितना समय लगता है.

दरअसल परमाणु मामलों के विशषज्ञों के अनुसार, प्रधानमंत्री की टेबल पर ऐसा कोई बटन परमाणु बटन नही होता है जिसे दबाकर किसी भी देश पर परमाणु हमला किया जा सके. हां, प्रधानमंत्री के पास एक स्मार्ट कोड जरूर होता है जिसके बिना परमाणु बम को छोड़ा नही जा सकता है. बता दें कि किसी देश पर परमाणु हमले करने के लिए एक पूरा प्रोसीजर होता है. ऐसा नहीं होता है कि प्रधानमन्त्री ने कहा कि किसी देश पर परमाणु हमला कर दो और वैज्ञानिकों ने तुरंत हमला कर दिया.

परमाणु हमले का आदेश कौन दे सकता है

जैसा कि हमने बताया कि परमाणु बम छोड़ने के लिए प्रधानमन्त्री के पास सिर्फ एक स्मार्ट कोड होता है. परमाणु बम को दागने का असली बटन तो परमाणु कमांड की सबसे निचली टीम के पास होता है जिसे वाकई में यह मिसाइल दागनी होती है.

भारत की बात करें तो परमाणु हमला करने का निर्णय सिर्फ प्रधानमन्त्री के पास होता है. हालाँकि प्रधानमन्त्री अकेले निर्णय नही ले सकता है, उसे अपनी सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी एवं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, चेयरमैन ऑफ़ चीफ ऑफ़ स्टाफ कमेटी से राय लेना आवश्यक है.

परमाणु हमला करने की क्या है पूरी प्रक्रिया

चरण 1. परमाणु ब्रीफकेस

आपने अक्सर देखा होगा कि प्रधानमंत्री के संग हमेशा एक सिक्यूरिटी गार्ड चलता है जिसके पास एक ब्रीफकेस जैसा बॉक्स होता है, दरअसल इसे परमाणु ब्रीफकेस कहा जाता है. इसका वजन लगभग 20 किलो होता है. इसमें कंप्यूटर और रेडियो ट्रांसमिशन उपकरण आदि सामान होता है और यह बुलेट प्रूफ भी होता है.

आपको बता दें कि इस ब्रीफकेस में उन ठिकानों की जानकारी होती है जहाँ पर परमाणु हमला करना होता है. मालूम हो कि अभी तक लगभग 5000 ठिकानों की पहचान की जा चुकी है और समय-समय पर इनकी समीक्षा करके इसमें नए ठिकानों को जोड़ा जाता है.

चरण 2. स्मार्ट कोड

जैसा हमने अभी बताया कि प्रधानमंत्री के पास एक स्मार्ट कोड होता है. यह कोड परमाणु हमला करने के लिए वेरिफिकेशन कोड के रूप में परमाणु कमांड को भेजा जाता है. बता दें कि भारत में सिर्फ प्रधानमन्त्री के पास यह अधिकार होता है कि वह इस कोड का नाम अपने मन मुताबिक रख सके.

चरण 3. दो अन्य सेफ कोड

शायद आपको यह न पता हो कि प्रधानमन्त्री के स्मार्ट कोड के अलावा भी दो अन्य कोड होते हैं। ये कोड एक तरह के लॉकर में बंद होते हैं और ये कहाँ रखे हैं इन्हें हर कोई नही जानता है.

चरण 4. परमाणु हमले की तैयारी

आपको बता दें कि प्रधानमन्त्री का स्मार्ट कोड मिलने के बाद कमांडिंग ऑफिसर दोनों साथी अधिकारियों को यह कोड बताता है जो अपने-अपने सेफ कोड खोलकर उसका मिलान करते हैं. यदि तीनों कोड सही पाए जाते हैं तो परमाणु हमला कर दिया जाता है.

प्रधानमन्त्री का स्मार्ट कोड मिलने के बाद क्या होता है तुरंत हमला

आपको बता दें कि प्रधानमंत्री का स्मार्ट कोड मिलने के बाद तुरंत ऐसा हमला नहीं होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि हवाई हमले के लिए लड़ाकू विमान को तैयार करना या थल सेना बैटरियों और नौसेना द्वारा मिसाइलों को दागने की तैयारी में 35 से 40 मिनट तक का समय लग सकता है.