चीन ने हाल ही में अपनी अपनी सैन्य शक्ति का प्रदर्शन किया है जिसके तहत वो दुनिया को बताना चाहता है कि उसकी सेना कितनी ताकवर है। लेकिन इसी बीच भारतीय सेनाओं ने भी ने भी बड़ा युद्धाभ्यास शुरू कर दिया है। भारत ने माउंटेन वारफेयर की दिशा में अपने नए इंटिग्रेटेड बैटल ग्रुप्स (आईबीजी) को टेस्ट करने की तैयारी कर ली है। भारतीय सेनाओं की यह ड्रिल चीन सीमा से सटे अरुणाचल प्रदेश में हो रही है। आपको बता दें कि चीन ने अपनी 70वें वार्षिक परेड के दौरान रणनीतिक बमवर्षक, फाइटर, सुपरसॉनिक ड्रोन और दुनिया की सबसे लंबी दूरी के इटंर कॉन्टिनेंटल बलिस्टिक मिसाइलों का प्रदर्शन करते हुए अपनी अपनी सैन्य क्षमता दिखाई थी।
खबर है कि चीन से लगे बॉर्डर पर 1 महीने तक ‘हिम विजय’ अभियान चलाया जा रहा है। इसमें नए 17वें ब्रह्मास्त्र कॉर्प्स को फुर्ती से अटैक करने वाले एक उत्कृष्ट फोर्स में तब्दील किया जाएगा। 17वें कॉर्प्स के तीन आईबीजी में 5000 जवान, कई टैंक, लाइट आर्टिलरी, एयर डिफेंस यूनिट, सिग्नल और अन्य उपकरण शामिल हैं। यह आईएएफ सी-17 ग्लोबमास्टर-3, सी-130 जे सुपर हर्कुलस और एएन-32 एयरक्राफ्ट के साथ अभ्यास करेगा। इसमें जवानों को एयर लिफ्ट करने के लिए हेलिकॉप्टर्स और अन्य उपकरणों को भी शामिल किया जा रहा है।
‘हिम विजय’ अभ्यास उस वक्त जोर-शोर से चल रहा है कि जब चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग महीने के आखिर में पीएम नरेंद्र मोदी के साथ चेन्नई में अनौपचारिक बैठक के लिए भारत के दौरे पर आ रहे हैं।
गौरतलब है कि पाकिस्तान को देखते हुए बनाए गए आईबीजी ने इसी तरह अप्रैल-मई में पश्चिमी कमांड स्थित चंडीमंदिर में युद्धाभ्यास किया था। प्रत्येक हर आईबीजी तीन चीजों पर आधारित होंगी। पहली, इलाके में खतरे की प्रकृति। दूसरा, इलाका किस प्रकार का है। तीसरा, दिया जाने वाला टास्क।’ इस तरह से पाकिस्तान के लिए तैयार आईबीजी में ज्यादातर टैंक और भारी आर्टिलरी पर ध्यान दिया जा रहा है, जबकि चीन में ज्यादा इन्फेंट्री और लाइट आर्टिलरी शामिल की जा रही है।
इसको ऐसे समझ सकते हैं कि 17वें कॉर्प्स में भारी चीजों को ढोने वाले चिनूक हेलिकॉप्टर्स होंगे जो एम-777 अल्ट्रा लाइट हॉवित्जर को चीन से लगे फॉरवर्ड और ऊंचाई वाले इलाकों तक ले जा सके। वायु सेना ने सितंबर 2015 में हुई 8,048 करोड़ रुपये की डील के मुताबिक 15 सीएच-47एफ चिनूक को अपने बेडे़ में शामिल करना शुरू कर दिया है। वहीं आर्मी नवंबर 2016 में अमेरिका के साथ हुई 5,000 करोड़ रुपये की डील के बाद 145 एम-777 हॉवित्जर को अपने बेड़े में शामिल कर रही है। ऐसे में पूरे आईबीजी का कॉन्सेप्ट इस पर आधारित है कि ऐसी फुर्तीली फोर्स तैयार की जाए जो तेजी से टास्क पर काम करना शुरू करते हुए उसें पूरा कर दे।